Thursday, January 28, 2021

अम्ल वर्षा: कारण, परिभाषा, प्रभाव

सरल शब्दों में कहें तो इसका मतलब है कि चलती कारों और औद्योगिक प्रक्रियाओं से निकलते प्रदूषण की वजह से हवा में कुछ तत्वों की उपस्थिति बढ़ जाती है जिस कारण धरती पर एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) होती है।

एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) के कारण

एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) होने में प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों ही कारण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ज्वालामुखी तथा क्षयकारी वनस्पति गैस से जहरीली गैस निकलती है जिससे एसिड रेन (अम्लीय वर्षा) का निर्माण होता है। हालांकि अधिकांश गैस मानव निर्मित स्रोतों से जन्म लेती हैं, जैसे कि जीवाश्म ईंधन दहन।

अम्ल वर्षा की प्रक्रिया (How Acid Rain Takes Place)

प्राकृतिक और मानव निर्मित स्रोतों के द्वारा वातावरण में सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड पहुँचते हैं। इनमे से कुछ ऑक्साइड सीधे सूखे जमाव के रूप में धरती पर पहुँच जाते हैं।

सूर्य की रौशनी के कारण वायुमंडल में फोटो ऑक्सीडेंट जैसे ओजोन, का निर्माण होता है। यह फोटो ऑक्सीडेंट सल्फर या नाइट्रोजन के साथ मिलकर सल्फ्युरिक एसिड, नीट्रिक एसिड आदि का निर्माण करते हैं। अम्ल वर्षा में सल्फर, अमोनिया, नाइट्रेट आदि आयन होते हैं जो गीले जमाव के रूप में पृथ्वी पर जमा हो जाते हैं।

अम्ल वर्षा के प्रभाव (Effects of Acid Rain in Hindi)

  • अम्ल वर्षा के कारण वातावरण के गंध में बदलाव आने लगता है, आँखों और शरीर में जलन होने लगती है और साँस लेने में दिक्कत आती है। इसके कारण साँस की बीमारियां, अस्थमा, कैंसर जैसे बीमारी हो सकते हैं। इससे खाना और पीने का पानी भी ख़राब होने लगते हैं। इनमे विषैले धातुओं जैसे ताम्बा, कैडमियम, एल्युमीनियम आदि की मात्रा भी बढ़ने लगती है।
  • अम्ल वर्षा के कारण हाइड्रोजन आयन और मिट्टी के पोषक तत्व जैसे कि पोटैशियम, मैग्नेशियम आदि में प्रक्रिया हो जाती है जिससे मिट्टी अनुपजाऊ होने लगता है। मिट्टी में नाइट्रेट की मात्रा भी घटने लगती है।
  • अम्ल वर्षा के कारण नदियों, तालाबों आदि के पानी विषैले होने लगते हैं एवं उनकी pH मात्रा घटने लगता है जिससे पानी के जीवों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • कई ऐतिहासिक इमारतों भी अम्ल वर्षा के कारण क्षय (corrode) होने लगते हैं। लाइमस्टोन व संगमरमर से बने ईमारत इनके कारण धीरे धीरे नष्ट होने लगते हैं। आगरा में मौजूद ताजमल को अम्ल वर्षा के कारण काफी नुकसान झेलना पड़ा है

ग्रीनहाउस इफ़ेक्ट क्या है – What is Greenhouse Effect

ग्रीनहाउस इफ़ेक्ट क्या है – What is Greenhouse Effect in Hindi

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ग्रीनहाउस इफ़ेक्ट एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो पृथ्वी को गर्म करती है. जब सूर्य प्रकश पृथ्वी के वातावरण तक पहुँचती है तो इसका कुछ भाग वापस अंतरिक्ष में लौट जाता है और बाकी का ग्रीनहाउस गैसों के द्वारा सोख लिया जाता है. जब ये ग्रीनहाउस गैसें पृथ्वी के वातावरण में बढ़ती है तो परिणाम यही होता है की ये सूर्य किरणों का ज्यादातर भाग पृथ्वी के वातावरण में सोखने लगती हैं और वापस जाने वाला भाग कम होता जाता है.

हमारे सौर मंडल के अधिकतर ग्रह या  ठन्डे मौसम की चपेट में हैं या फिर कुछ सूर्य रोशनी में बहुत गर्म हैं. पृथ्वी ही  एक ऐसा ग्रह है जहाँ का मौसम बहुत हल्का और स्थिर है. पृथ्वी के वातावरण के कारण यहाँ अनेक तरह के मौसम पाए जाते हैं जिसकी वजह से पृथ्वी जैसे ग्रह में जीवन संभव हो सका हैऔर जिसका आनंद यहाँ के जीव उठा पाते हैं. 97% मौसम वैज्ञानिको का मानना है की इंसानो ने पिछले दो दशक में पृथ्वी के वातावरण को बदल दिया है जिसके कारन ग्लोबल वार्मिंग की समस्या ने जन्म लिया है. ग्लोबल वार्मिंग के बारे में समझने के लिए ये जानना जरुरी है ग्रीनहाउस प्रभाव इसमें किस तरह से अपनी भूमिका निभाता है.

पृथ्वी का वातावरण हर दिन सूर्य से आने वाले radiation से प्रभावित होता है. इसके वातावरण में हर दिन भारी मात्रा में सूर्य का रेडिएशन पहुँचता है जिसमे प्रकाश, पाराबैंगनी किरणे (UV-rays), infrared, और भी कई दूसरी तरह की रेडिएशन पहुँचती है जो इंसानी आँखों द्वारा नहीं देखा जा सकता.

ग्रीनहाउस प्रभाव की परिभाषा – Greenhouse effect Definition in Hindi

ग्रीनहाउस इफ़ेक्ट एक ऐसा प्रोसेस है जिसमे सूर्य प्रकाश में उपस्थित विकिरण पृथ्वी के वातावरण में आकर रुक जाते हैं और ये ग्रीनहाउस गैसों में गर्मी बढ़ा देते हैं जो की ग्लोबल वार्मिंग का सबसे मुख्य कारण है.

ग्रीन हाउस गैस क्या हैं – What are greenhouse gases in Hindi

ग्रीन हाउस गैसें बहुत सारी गैसों का एक मिश्रण है जो वायुमंडल में गर्मी को रोकने में सक्षम होती है. इसकी वजह से हमारी दुनिया की सतह गर्म रहती है और अगर ये गैसें न हों तो सतह भी गर्म नहीं होगा.ये वो गैसें हैं जो पृथ्वी के वातावरण में होने वाले बदलाव और इसके सतह तापमान  मुख्य कारण होती हैं.

ग्रीनहाउस प्रभाव का मूल कारण ये ग्रीनहाउस गैसें ही होती हैं. जब वातावरण में इन गैसों में बढ़ोतरी होती है तो इसका प्रभाव भी बढ़ जाता है. यही ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है और मौसम चक्र को भी बदलता है. हम तो ये पहले ही जान चुके हैं की ग्रीनहाउस गैसें जितनी अधिक होंगी पृथ्वी  की सतह का तापमान भी बढ़ेगा. इसी की वजह से इन सभी गैसों को मिलकर ग्रीनहाउस गैस के नाम से जाना जाता है.


ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है और इस में गैस कौन कौन सी है?

आपने ग्लोबल वार्मिंग के बारे में तो सुना ही होगा की ये क्या होता है और इससे क्या नुक्सान हो सकता है. ग्लोबल वार्मिंग की सबसे बड़ी वजह में से एक बड़ी वजह है ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट. ग्रीनहाउस इफ़ेक्ट क्या है (What is Green house effect in Hindi) और इस में गैस कौन कौन सी है इसकी जानकारी होनी हर इंसान के लिए बेहद जरुरी है क्यों की हर कोई इसी पृथ्वी पर निर्भर है. यहाँ के उचित वातावरण के बिना मनुष्य की  सामान्य जिंदगी संभव नहीं है. वातावरण का संतुलन सबसे महत्वपूर्ण होता है क्यों संतुलन बिगड़ा तो वातावरण में प्रभाव पड़ता है और फिर सीधे सीधे लोगों की ज़िन्दगी में इसका असर देखने को मिलता है.

हमारी  पृथ्वी लगातार गर्म होती जा रही है जिसे हम ग्लोबल वार्मिंग के नाम से जानते हैं. यही वजह है की  सभी देशों के सरकार वातावरण संतुलन बनाये रखने के लिए वृक्षारोपण का कार्यक्रम लगातार चलाये रहे हैं और अधिक से अधिक लोगों को इस में शामिल कर के पृथ्वी की हरियाली बढ़ा रहे हैं. जितने अधिक पेड़ होंगे पृथ्वी का संतुलन बना रहेगा, पेड़ों के कम होने की वजह से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जायेगी. इस तरह पृथ्वी की गर्मी बढ़ने में इसका अहल रोल होता है.ये पोस्ट  ग्रीनहाउस प्रभाव किसे कहते हैं इसकी पूरी जानकारी आपको यहाँ पुरे विस्तार से देगा. ग्रीनहाउस इफ़ेक्ट क्या होता है (What is greenhouse effect in Hindi) और इसके फायदे और नुक्सान क्या है ये भी आप यहाँ जानेंगे.

ग्रीन हाउस गैस कौन कौन सी है – इसके मुख्य घटक 

चलिए देखते हैं  ग्रीनहाउस गैस के अंदर कौन सी गैस हैं जो इसके प्रभाव में अपनी भूमिका निभाते हैं.

जलवाष्प (Vapour H2O)

वैसे तो हम सोच भी नहीं सकते की पानी से जो भाप बनता है वही ग्रीनहाउस गैस में से एक मुख्य गैस है जो हमारी पृथ्वी के वातावरण को गर्म बनाने का काम करता है. सबसे इंटरेस्टिंग बात ये है की भाप हम इंसानो द्वारा सीधे तोर पर नहीं बनता है ये हमारे मौसम में होने वाले बदलाव की वजह बनता है. जैसे जैसे वातावरण में तापमान बढ़ता है पानी के भाप बनने की प्रक्रिया भी तेज़ होती है और ये भाप वातावरण के निचले स्तर पर ही स्थित की tendency होती है. जहाँ पर ये सूरज से आने रौशनी और इसके साथ रहने वाले रेडिएशन को अब्सॉर्ब कर लेता है और दुनिया गर्म होता है.

कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)

कार्बन डाइऑक्साइड ग्रीनहाउस गैस का सबसे महत्वपूर्ण गैस है. वायुमंडल में पाए जाने वाले कार्बन डाइऑक्साइड का प्राकृतिक श्रोत ज्वाला मुखियों से निकलने वाली धुंआ, कार्बन से बना कोई भी मटेरियल जलता है तो भी कार्बन डाइऑक्साइड पैदा होता है. सबसे अधिक कार्बन डाइऑक्साइड जीवों द्वारा सांस छोड़ने पर पैदा होता है. ये श्रोत एक प्रकार से संतुलित होती हैं जो की एक physical, केमिकल  बायोलॉजिकल प्रोसेस का सेट होता है जिसे sink  कहा जाता है और ये वातावरण से CO2 को हटाने का काम करते हैं.  इस में सबसे अधिक महत्वपूर्ण प्राकृतिक sink स्थलीय वनस्पति होते हैं जो प्रकाश संश्लेषण क्रिया के दौरान CO2 को लेते हैं.

मीथेन (CH4)

मीथेन दूसरी सबसे ज्यादा जरुरी ग्रीनहाउस गैस है. ये कार्बन दी ऑक्साइड की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली होता है. वैसे ये कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में कम concentration में मौजूद रहता है. इसके अलावा मीथेन गैस कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में बहुत कम समय के लिए रहता है. मीथेन का वातावरण में रहने का समय 10 साल के लगभग में होता है जबकि कार्बन डिसऑक्सीडे सैकड़ों सालों के लिए वातावरण में मौजूद रहता है. मीथेन गैस मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय इलाके और उत्तरी वेस्टलैंड में  उत्पन्न होते हैं.

Ozone (O3)

ओजोन एक प्राकृतिक गैस है जो ऑक्सीजन के 3 अणुओं से मिलकर बना होता है. ये एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस है जो इसके प्रभाव को उत्पन्न करता है. सतह पर ये सूर्य प्रकाश की मौजूदगी में हाइड्रोकार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड के रिएक्शन की वजह से बनता है. ओजोन वायुमंडल के दोनों सतह पर मौजूद होता है जहाँ ये सूरज से सूरज से आने वाले पराबैंगनी किरणों से हमारी पृथ्वी को सुरक्षा करता है.

नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) और फ्लुओरिनटेड गैसें 

अन्य गैसे जो इस में शामिल उनमे से अधिकतर इंडस्ट्रियल एक्टिविटी द्वारा पैदा होते हैं जिनमे से नाइट्रस ऑक्साइड और फ्लुओरिनेटेड गैसें जिसे halocarbon भी बोलते हैं, शामिल है. इस में जो एक्स्ट्रा गैसें होती है वो हैं CFC, सल्फर हेक्सा फ्लोराइड, हाइड्रो फ्लुओरोकार्बोन और परफ्लुओरोकार्बन शामिल हैं. मिटटी और पानी में नेचुरल बायोलॉजिकल रिएक्शन की वजह से नाइट्रस ऑक्साइड की बैकग्राउंड concentration कम होती है. जबकि फ्लोराइड गैसों की उपस्थिति इंडस्ट्रियल सोर्स तक होता है.

नाइट्रोजन ट्राईफ्लोराइड  (NF3)

ग्रीनहाउस गैसों में उपस्थित एक और गैस नाइट्रोजन ट्राईफ्लोराइड भी होता है, NF3 का इस्तेमाल काफी बढ़ चूका है और इसके 2 बड़े मुख्य कारण हैं. पहला तो ये है की microelectronic में इसका इस्तेमाल काफी बढ़ता जा रहा है और दूसरा ये है की NF3 का air-emission  पहले से ही non-existent माना जाता था इसीलिए इस गैस का उपयोग विकल्प के रूप में PFC की जगह में इस्तेमाल करने के लिए प्रस्तावित किया गया था. क्यूंकि PFC का इस्तेमाल करना ग्रीनहाउस गैस इफ़ेक्ट पैदा करने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था.

ग्रीनहाउस इफ़ेक्ट/प्रभाव के फायदे – Advantages of greenhouse effect in Hindi

ग्रीनहाउस गैसें और और इनका प्रभाव एक सबसे बड़ा कारण है जिसकी वजह से हमारे ग्रह पृथ्वी में जीवन संभव हो सका है.

  • ग्रीनहाउस प्रभाव पृथ्वी के सतह में एक संतुलित तापमान बना कर के रखता है जिसके कारण मनुष्य, पेड़- पौधे और जानवर इसके आदि हो जाते हैं.
  • ये एक फ़िल्टर की तरह काम  करता है जो सूर्य से  आने वाले हानिकारक किरणों को वापस अंतरिक्ष में भेज देता है. ओजोन लेयर एक सूर्य की पाराबैगनी किरणों को सोख लेता है, कार्बन डाइऑक्साइड और दूसरी गैसें लम्बे wavelength वाले रेडिएशन को अब्सॉर्ब कर लेते हैं. इस प्रभाव के बिना सूर्य से आने वाले रेडिशन के हानिकारक असर से बचना नामुमकिन होता.
  • बहुत लम्बे समय से इंसान ने इस प्रभाव की मदद से season मौसम न होते हुए भी पौधों को उगाने में सफलता पायी है, Artificially इस प्रभाव को उत्पन्न कर के off season गैर-मौसमी फसल उगाई जाती हैं.
  • सोलर चलने वाले वाटर हीटर इसी प्रभाव का इस्तेमाल कर के पानी को गर्म करते हैं. इसकी वजह से हमारी ऊर्जा खर्च होने से बचती है और 20-30 हमारी बिजली की बिल में भी बचत होती है.
  • समुद्र सतह से पृथ्वी के सतह को मेन्टेन करने में यही प्रभाव काम करता है. ये ध्रुवी पर जमी हुई बर्फ को पिघलने से रोकता है, और इस तरह से ये पृथ्वी को भी  डूबने से बचाता है.
  •  कार्बन डाइऑक्साइड और ओजोन गैसें हमारे वातावरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. इस गैसों का संतुलन हमारे वातावरण के जीवन चक्र को सामान्य रूप से चलाने में काफी महत्वपूर्ण निभाता है.

ग्रीनहाउस इफ़ेक्ट/प्रभाव के नुक्सान – Disadvantages of greenhouse effect in Hindi

इन गैसों के नियमित संतुलन से पृथ्वी में जीवन संभव है और अगर इस मे संतुलन ठीक न हो तो फिर इसके नुक्सान भी हैं.

  • चूँकि ग्रीनहाउस गैसें पृथ्वी के तापमान को मेन्टेन कर के रखते हैं, तो तापमान बढ़ने पर इसका सबसे पहला प्रभाव इसके मौसम पर पडता है. इसका मतलब है बहुत गर्म मौसम के साथ ही प्राकृतिक विपदाएं. आंधी और तूफ़ान जो हमे अक्सर दिखाई देते हैं वो इसी प्रभाव के संतुलन में गड़बड़ होने का नतीजा है.
  • हमारे समुन्द्रतल की ऊंचाई है वो भी बर्बाद हो जाएगा. आप पहले ही स्कूलों और कॉलेज में पढ़ चुके होंगे की ध्रुव में बर्फ जमी हुई हैं जो तापमान के निरंतर बढ़ने से  पिघलने लगी हैं और इसकी इसके पिघलने से हमारे महासागर का जलस्तर भी बढ़ता जा रहा है जिससे बढ़ का खतरा भी बढ़ने लगा है.
  • समुंद्री जीवन और ecosystem बर्बाद हो जायेंगे. महासागर कार्बन डाइऑक्साइड को एब्सॉर्ब करते हैं जिससे संदरी जल का alakalinity level बढ़ जाता है. अल्कालिनिटी  के बढ़ जाने से समुद्री जीवन में काफी बदलाव हो जायेगा इसका परिणाम भी बहुत बुरा होगा. ध्रुवीय भालू और वहां पर रहने वाले पेंगुइन का निवास भी खतम  ये भी विलुप हो जायेंगे.
  • ग्लोबल वार्मिंग हमारे मौसम को  बदलता जा रहा है ये आप भी महसूस कर रहे होंगे. दुनिया के अधिकतर  हिस्से में होने वाली बारिश प्रभावित हो जाएगी जिससे खेत बंजर हो जाएँगी और रेगिस्तान का क्षेत्र बढ़ता जायेगा.
  • इस प्रभाव का असर  और अर्थव्यवस्था में भी ज़बरदस्त होगा. तापमान के बढ़ने से दुनिया के वैश्विक उत्पादन में 2-3 प्रतिशत की कमी आएगी. उत्पादन में कमी  खाने में कमी पैदा करेगा इंसानों को बार बार अकाल पर अकाल का सामना करना पड़ेगा. जिससे तरह तरह की बिमारियों की चपेट में इंसान आने लगेंगे.

ध्वनि प्रदूषण क्या है | वायु प्रदूषण | जल प्रदूषण क्या है.

ध्वनि प्रदूषण


ध्वनि प्रदूषण उस स्थिति में उत्पन्न होता है जब पर्यावरण में आवाज का स्तर सामान्य स्तर से बहुत अधिक होता है। पर्यावरण में अत्यधिक शोर की मात्रा जीने के उद्देश्य से असुरक्षित है। कष्टकारी आवाज प्राकृतिक सन्तुलन में बहुत सी परेशानियों का कारण बनती है। तेज आवाज या ध्वनि अप्राकृतिक होती है और अन्य आवाजों के बाहर जाने में बाधा उत्पन्न करती है। आधुनिक और तकनीकी के इस संसार में, जहां सब कुछ घर में या घर के बाहर बिजली के उपकरणों से संभव है, ने तेज ध्वनि के खतरे के अस्तित्व में वृद्धि कर दी है।

ध्वनि प्रदुषण के कारण - 

  1. उद्योग
    लगभग सभी औद्योगिक क्षेत्र ध्वनि प्रदूषण से प्रभावित हैं कल-कारखानों में चलने वाली मशीनों से उत्पन्न आवाज/गड़गड़ाहट इसका प्रमुख कारण है. ताप विद्युत गृहों में लगे ब्यायलर, टरबाइन काफी शोर उत्पन्न करते हैं.
  2. परिवहन के साधन
    परिवहन के सभी साधन कम या अधिक मात्रा में ध्वनि उत्पन्न करते हैं. इनसे होने वाला प्रदूषण बहुत अधिक क्षेत्र में होता है. इससे ध्वनि प्रदूषण के साथ वायु प्रदूषण की कल्पना स्वतः की जा सकती है.
  3. मनोरंजन के साधन
    मनुष्य अपने मनोरंजन के लिए टी.वी., रेडियो, टेपरिकॉर्डर, म्यूजिक सिस्टम (डी.जे.) जैसे साधनों से अपना मनोरंजन करता है परन्तु इनसे उत्पन्न तीव्र ध्वनि शोर का कारण बन जाती है. विवाह, धार्मिक आयोजनों, मेंलों, पार्टियों में लाऊड स्पीकर का प्रयोग और डी.जे. के चलन भी ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है.
  4. निर्माण कार्य
    घर बनाने के लिए आजकल लगातार कंस्ट्रक्शन का काम चलता ही रहता है. विभिन्न निर्माण कार्यों में प्रयुक्त विभिन्न मशीनों और औजारों के प्रयोग से भी फलस्वरूप ध्वनि प्रदूषण बढ़ा है.
  5. आतिशबाजी
    हमारे देश में विभिन्न त्योहारों, उत्सवों, मेंलों, सांस्कृतिक/वैवाहिक समारोहों में आतिशबाजी एक आम बात है. इन आतिशबाजियों से वायु प्रदूषण तो होता ही है साथ ही ध्वनि तरंगों की तीव्रता भी इतनी अधिक होती है, जो ध्वनि प्रदूषण जैसी समस्या को जन्म देती है.
  6. अन्य कारण
    विभिन्न सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक रैलियों श्रमिक संगठनों की रैलियों का आयोजन इत्यादि अवसरों पर एकत्रित जनसमूहों के वार्तालाप से भी ध्वनि तरंग तीव्रता अपेक्षाकृत अधिक होती है. इसी प्रकार प्रशासनिक कार्यालयों, स्कूलों, कालेजों, बस स्टैण्डों, रेलवे स्टेशनों पर भी विशाल जनसंख्या के शोरगुल के फलस्वरूप भी ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न होता है.

क्या है वायु प्रदूषण? (What is Air pollution?-Hindi)

जब वातावरण में खतरनाक पदार्थों जैसे गैस, कण (particles) और जैविक अणु की मात्रा काफी ज्यादा हो जाती है, तो उस स्थिति को वायु प्रदूषण या एयर पॉल्यूशन कहा जाता है।

अगर वायु प्रदूषण को समय रहते काबू में न किया जाए तो यह कई सारी समस्याओं जैसे ग्लोबल वार्मिंग  का होना, दिल की बीमारी का होना, फेफड़ों की बीमारी होना, कैंसर होना, मानसिक समस्या, किडनी की बीमारी इत्यादि  हो सकती हैं।

वायु प्रदूषण किन कारणों से होता है? (Causes of Air pollution-Hindi)

वायु प्रदूषण कई कारणों से हो सकता है, जिनमे से प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

  • लकड़ी को जलाना- अक्सर,लोग खाना बनाने के लिए लकड़ियों का इस्तेमाल करते हैं।
    उनके लकड़ी के जलाने का असर वातावरण पर पड़ता है और वह ज्यादा खराब हो जाता है।
    इस तरह से वायु प्रदूषण को बढ़ाने में लकड़ी को जलाना भी शामिल है।

  • गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ- आज के दौर में, लोग गाड़ियों का इस्तेमाल काफी ज्यादा करते हैं।
    इन गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ वायु प्रदूषण को बढ़ाता है और वातावरण को खराब करता है।

  • उद्योगों से निकलने वाला धुंआ- फैक्टरियों का विकास लगभग सभी जगह हो गया है।
    आप किसी भी शहर में जाएं, वहां पर आपको एक या दो फैक्टरी देखने को मिल ही जाएगी।
    एक ओर, जहां फैक्टरियां जहां पर देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, वहीं दूसरी ओर, इन फैक्टरियों से निकले वाला धुंआ वायु प्रदूषण को भी काफी हद तक बढ़ाता है।

  • खराब फसलों को जलाना- जब किसानों की फसले खराब हो जाती है, तब वे इन फसलों को जलाते हैं।
    ये फसले वातावरण को प्रदूषित करती हैं और वायु प्रदूषण का कारण बनती हैं।

  • प्लास्टिक या पत्तों इत्यादि को जलाना- वायु प्रदूषण के बढ़ने में प्लास्टिक या पत्तों जैसे पदार्थों को जलाना भी शामिल है।
    इसी कारण, लोगों को ऐसी चीजों को नहीं चलाना जाए, तो वातावरण को नुकसान पहुंचाएं।

  • जंगलों में लगी आग का धुंआ- इन दिनों जंगलों में आग लगने की खबरे काफी आती रहती हैं।
    यह आग भी हमारे वातावरण को खराब करती है और वायु प्रदूषण को बढ़ाती है।



  • जल प्रदूषण क्या है

  • जल प्रदूषण  जल भी पर्यावरण का अभिन्न अंग है। मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। मानव स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ जल का होना नितांत आवश्यक है। जल की अनुपस्थित में मानव कुछ दिन ही जिन्दा रह पाता है क्योंकि मानव शरीर का एक बड़ा हिस्सा जल होता है। अतः स्वच्छ जल के अभाव में किसी प्राणी के जीवन की क्या, किसी सभ्यता की कल्पना, नहीं की जा सकती है। यह सब आज मानव को मालूम होते हुए भी जल को बिना सोचे-विचारे हमारे जल-स्रोतों में ऐसे पदार्थ मिला रहा है जिसके मिलने से जल प्रदूषित हो रहा है। जल हमें नदी, तालाब, कुएँ, झील आदि से प्राप्त हो रहा है। जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण आदि ने हमारे जल स्रोतों को प्रदूषित किया है जिसका ज्वलंत प्रमाण है कि हमारी पवित्र पावन गंगा नदी जिसका जल कई वर्षों तक रखने पर भी स्वच्छ व निर्मल रहता था लेकिन आज यही पावन नदी गंगा क्या कई नदियाँ व जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं। यदि हमें मानव सभ्यता को जल प्रदूषण के खतरों से बचाना है तो इस प्राकृतिक संसाधन को प्रदूषित होने से रोकना नितांत आवश्यक है वर्ना जल प्रदूषण से होने वाले खतरे मानव सभ्यता के लिए खतरा बन जायेंगे।

जल प्रदूषण के कारण -

1. औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप आज कारखानों की संख्या में वृद्धि हुई है लेकिन इन कारखानों को लगाने से पूर्व इनके अवशिष्ट पदार्थों को नदियों, नहरों, तालाबों आदि किसी अन्य स्रोतों में बहा दिया जाता है जिससे जल में रहने, वाले जीव-जन्तुओं व पौधों पर तो बुरा प्रभाव पड़ता ही है साथ ही जल पीने योग्य नहीं रहता और प्रदूषित हो जाता है।

2. जनसंख्या वृद्धि से मलमूत्र हटाने की एक गम्भीर समस्या का समाधान नासमझी में यह किया गया कि मल-मूत्र को आज नदियों व नहरों आदि में बहा दिया जाता है, यही मूत्र व मल हमारे जल स्रोतों को दूषित कर रहे हैं।

3. जब जल में परमाणु परीक्षण किये जाते हैं तो जल में इनके नाभिकीय कण मिल जाते हैं और ये जल को दूषित करते हैं।

4. गाँव में लोगों के तालाबों, नहरों में नहाने, कपड़े धोने, पशुओं को नहलाने बर्तन साफ करने आदि से भी ये जल स्रोत दूषित होते हैं।
5. कुछ नगरों में जो कि नदी के किनारे बसे हैं वहाँ पर व्यक्ति के मरने के बाद उसका शव पानी में बहा दिया जाता है। इस शव के सड़ने व गलने से पानी में जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि होती है, जल सड़ाँध देता है और जल प्रदूषित होता है।

पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem)

पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) -
‘पारिस्थितिकी तंत्र' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ए.जी. टान्सले द्वारा 1935 में किया गया था। सामान्य रूप से जीवमंडल के सभी संघटकों के समूह, जो पारस्परिक क्रिया में सम्मिलित होते हैं, को पारिस्थितिकी तंत्र कहा जाता है। यह पारितंत्र प्रकृति की क्रियात्मक इकाई है जिसमें इसके जैविक तथा अजैविक घटकों के बीच होने वाली जटिल क्रियाएँ सम्मिलित होती हैं।
पारितंत्र एक ऐसी इकाई होती है जिसके भीतर वे सभी जैविक समुदाय आ जाते हैं जो एक निर्दिष्ट क्षेत्र के भीतर एक साथ कार्य करते हैं तथा भौतिक पर्यावरण (अजैविक घटक) के साथ इस तरह परस्पर क्रिया करते हैं कि ऊर्जा का प्रवाह स्पष्टतः निश्चित जैविक संरचनाओं
के भीतर होता है और जिसमें विभिन्न तत्वों का सजीव तथा निर्जीव अंशों में चक्रण होता रहता है।

पारिस्थितिकी तंत्र की विशेषताएँ (Characteristics of Ecosystem) -
  • यह संरचित एवं सुसंगठित तंत्र होता है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र प्राकृतिक संसाधन तंत्र होते हैं।
  • पारिस्थितिकी तंत्र की उत्पादकता उसमें ऊर्जा की सुलभता पर निर्भर करती है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न प्रकार ऊर्जा द्वारा संचालित होते हैं।
  • पारिस्थितिकी तंत्र एक खुला तंत्र है जिसमें पदार्थों तथा ऊर्जा का सतत् निवेश (Input) तथा बहिर्गमन (Output) होता है।
  • आकार के आधार पर इसे अनेक भागों में बाँटा जा सकता है:

पेजर काम कैसे करते हैं?

पेजर काम कैसे करते हैं?

ये छोटे रेडियो रिसीवर जैसे होते हैं जिसे आप अपने साथ लेकर चल सकते हैं. इसमें हर उपभोक्ता का एक निजी कोड होता है जिसे लोग संदेश भेजने के लिए दूसरों को दे सकते हैं. हर संदेश पेजर की स्क्रीन की एक तरफ फ़्लैश होता है. बीप की आवाज़ के साथ फ्लैश होने के चलते इसे बीपर भी कहा जाता था.

इसे 1950-60 के दशक में विकसित किया गया लेकिन 80 के दशक में यह तेजी से लोकप्रिय हुआ लेकिन मोबाइल फ़ोन ने इसे चलन से बाहर कर दिया. बावजूद इसके पेजर का इस्तेमाल आज भी पूरी तरह बंद नहीं हुआ है.



दूरसंचार क्या है? (telecommunication

दूरसंचार का मतलब (telecommunications meaning in hindi)

संचार के उद्देश्य के लिए जब एक दूरी तक सिग्नल का ट्रांसमिशन किया जाता है तो इसे दूरसंचार कहते हैं।

दूरसंचार क्या है? (telecommunication definition in hindi)

संचार के लिए दो चीजों की जरुरत पड़ती है , ट्रांसमीटर और रिसीवर। इसको आसान भाषा में समझे तो दूरसंचार एक ऐसी व्यवस्था है जिसमे हम बहुत बड़ी डोरी तक जानकारी का अदान-प्रदान कर सकते हैं।

अब इसको एक उदहारण के माध्यम से समझने का प्रयास करते हैं। आप इस लेख को पढ़ने के लिए भी दूरसंचार का ही उपयोग कर रहे हैं। अगर आप इस लेख कोअपने मोबाइल या कंप्यूटर में पढ़ रहे हैं, तो आप इंटरनेट से जरूर जुड़े होंगे।

और यही इंटरनेट ही यहाँ दूरसंचार का माध्यम है। इसी की वजह से आप अपने दोस्तों से घर बैठे बातें कर पते हैं। आपने अक्सर एक शब्द टेलीकम्यूनिकेशन सुना होगा।

क्या आप जानते हैं ये क्या है? दरअसल दूरसंचार को अंग्रेजी में टेलीकम्यूनिकेशन कहते हैं। इस शब्द को शार्ट फॉर्म में टेलीकॉम भी कहते है।

ईमेल (e-mail)

ईमेल (e-mail)– आपने ईमेल का इस्तेमाल तो जरूर किया होगा। ईमेल एक शार्ट फॉर्म है जिसका फुल फॉर्म है इलेक्ट्रॉनिक मेल। ये भी एक दूरसंचार का एक प्रकार है। इसमें भी दो कड़ियाँ जुड़ती है तभी संचार हो पता है। ये दो कड़ियाँ है सेन्डर और रिसीवर। जब तक ये दोनों मौजूद न हो तब तक संचार पूरा नहीं हो सकता।

आप अगर मेल भेज रहे है तो आप सेन्डर हैं , अगर किसी आयी हुई मेल को पढ़ रहे हैं तो आप रिसीवर हैं। आप के द्वारा भेजी गयी मेल जब रइवर पढ़ लेता है तो आपका संचार पूरा हो जाता है। अगर रिसीवर आपको जवाब भेजे तो उस हालत में वो सेन्डर और आप रिसीवर बन जाते हैं।

इंटरनेट

इंटरनेट दुनिया का बहुत ही बड़ा नेटवर्क का जाल है. यहाँ पर सभी नेटवर्क एक दुसरे के साथ जुड़े हुए होते हैं. यह एक ग्लोबल कंप्यूटर नेटवर्क होता है जो की बहुत से प्रकार के जानकारी और संचार सुविधाएं प्रदान करता है.

भारत में इन्टरनेट कब आया?

भारत में इन्टरनेट की शुरुआत 14 अगस्त 1995 को हो गयी थी लेकिन सार्वजानिक रूप से इसे 15 अगस्त 1995 को “विदेश संचार निगम लिमिटेड” यानि VSNL द्वारा चालू किया गया था। तब इन्टरनेट का इस्तेमाल महत्वपूर्ण सूचनाओं के आदान प्रदान करने के लिए किया गया था और इसकी स्पीड मात्र 8-10 kbps थी।

जब भारत में इन्टरनेट की शुरुआत हुई थी तब इससे मात्र 20-30 कंप्यूटर ही जुड़े थे और इन्टरनेट कनेक्शन का खर्च भी बहुत ज्यादा था, और 9-10 kbps स्पीड के इन्टरनेट का मासिक खर्चा 500-600 रूपये के आसपास था, जो कि उस समय के हिसाब से बहुत ही ज्यादा था.

जबकि आज के समय में इन्टरनेट प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में पहुँच चूका है और पढाई से लेकर व्यापार, चिकित्सा, तकनीक, सरकारी कार्यों इत्यादि तक में इन्टरनेट का प्रयोग होने लगा है.

इन्टरनेट कैसे काम करता है? How internet works in Hindi

दोस्तों क्या आप भी उन लोगों में से है जो यह सोचते है कि Internet सेटेलाईट के माध्यम से चलता है. अगर हाँ तो आपकी सोच एक हद तक गलत भी हो सकता है. हालाँकि इन्टरनेट को सेटेलाईट के मध्यम से भी चलाया जाता है लेकिन हम जिस इन्टरनेट का उपयोग करते है वो सेटेलाइट के माध्यम से नहीं अपितु Opticle Fibres Cable द्वारा हम तक पहुँचता है. Opticle Fibres Cable को सबमरीन केबल भी कहते है.

क्या होता है Satellite

कम्प्यूटर - Computer 🖥️

कम्प्यूटर हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. स्कूल से लेकर ऑफिस तक में इसका इस्तेमाल रोजाना किया जाता है. और दैनिक कामकाज निपटाने के लिए घरों में भी कम्प्यूटर का उपयोग खूब किया जा रहा है.

इसलिए हम सभी को अच्छी तरह से कम्प्यूटर का परिचय होना चाहिए. तभी हम इस इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का उपयोग ठीक ढंग से करने में कामयाब हो सकते है. साथ ही प्रतियोगि परिक्षाओं में भी कम्प्यूटर से संबंधित महत्वपूर्ण सवाल पूछे जाते है. इस कारण भी कम्प्यूटर की बेसिक जानकारी होना जरुरी हो जाता है.

कम्प्यूटर की परिभाषा – Computer Definition in Hindi

“Computer एक मशीन है जो कुछ तय निर्देशों के अनुसार कार्य को संपादित करते है. और ज्यादा कहे तो Computer एक इलेक्ट्रोनिक उपकरण है जो इनपुट उपकरणों की मदद से आँकडों को स्वीकार करता है उन्हें प्रोसेस करता है और उन आँकडों को आउटपुट उपकरणों की मदद से  सूचना के रूप में प्रदान करता है.”

इस परिभाषा के स्पष्ट है कि कम्प्यूटर युजर द्वारा पहले कुछ निर्देश लेता है जो विभिन्न इनपुट डिवाइसों की मदद से प्रविष्ट कराए जाते है. फिर उन निर्देशों को प्रोसेस किया जाता है, और आखिर में निर्देशों के आधार पर परिणाम देता है जिसे आउटपुट डिवाइसों की मदद से प्रदर्शित करता है.

निर्देशों में कई प्रकार का डेटा शामिल होता है. जैसे; संख्या, वर्णमाला, आंकड़े आदि. इस डेटा के अनुसार ही कम्प्यूटर परिणाम बनाता है. यदि कम्प्यूटर को गलत आंकड़े दिए जाते है तो कम्प्यूटर भी गलत ही परिणाम देता है. 


कॉमनवेल्थ गेम क्या है?

कॉमनवेल्थ गेम क्या है

कॉमनवेल्थ या राविमंडल खेल एक बहुराष्ट्रीय खेल आयोजन है। इसके साथ ही इसमें कई खेल एक साथ खेले जाते हैं। इस खेल में वह सभी देश हिस्सा लेते हैं, जो ओल के भी सदस्य हैं। इसका आयोजन हर चार साल में एक बार होता है। इसमें वह सभी खेल खेले जाते हैं जो ओलम्पिक का हिस्सा होते हैं साथ ही राष्ट्रमंडल खेलों के अपने कुछ खास खेल होते हैं। इस खेल के आयोजन पर नियंत्रण का काम राष्ट्रमंडल खेल संघ संभालता है।

राष्ट्रमण्डल खेल तीन नीतियों को मानता है कि

मानवता, समानता और नियति है । इसका मानना ​​है कि इससे विश्वभर में शांति और सहयोग की भावना बढ़ेगी। यह हज़ारों लोगों को प्रेरणा देता है और उन्हें आप के साथ जोड़ कर रासुन्दर देशों के अंदर खेलों को अपनाने का संक्षिप्ति नजरिया प्रदान करेंगे।

इसके निर्धारण की बात करें तो इसमें 6 देश (आस्ट्रेलिया, कनाडा, इंग्लैण्ड, न्यूजीलैंड, स्कॉटलैन्ड और वेल्स) जैसे हैं जो प्रत्येक वर्ष में भाग लेते हैं। पिछले यानी मेलबोर्न में हुए कॉमन वेल्थ गेम्स में कुल 53 देशों के देशों सहित कुल 71 देशों की टीमों ने हिस्सा लिया था।

और हां, वर्ष 1930 में शुरू होने के बाद द्वितीय विश्व युद्ध की वजह से 1930-1942 के मध्य में इन खेलों का आयोजन न हो सका। मगर 1942 में एक बार फिर से इन खेलों का आयोजन होने लगा।

इसके प्रतीक और कुछ अन्य तथ्य भी बड़े आकर्षक हैं जैसे महारानी की बेटन रिले, प्रतीक और लोगो आदि।

प्रतीक

राष्ट्रमंडल खेलों का कोई भी समान प्रतीक नहीं होता है। हर साल आयोजन करने वाले देश में अपने आप में यह प्रतीक को चुनते हैं। इस वर्ष भारत में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों का प्रतीक " शेरा " को रखा गया है। शेरा का तात्पर्य होता है शेर । इसके पर्दापण मेलबर्न के रासुन्दर खेलों के समापन समारोह में किया गया। शेरा को शौर्य, साहस, पराक्रम और भव्‍यता की निशानी माना जाता है। यह नारंगी और काली पट्टियाँ वाला शेर भारत की भावना को प्रकट करता है, जबकि इसके शौर्य की कहानी खिलाड़ियों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की भावना से भरता है। शेरा को बड़े दिल वाला माना जाता है जो सभी को "आओ और खेलो" की भावना से भर देता है।

आसियान क्या है? (ASEAN)

आसियान क्या है?

आसियान (ASEAN) का पूरा नाम Association of Southeast Asian Nations है।

दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन एक क्षेत्रीय संगठन है जो एशिया-प्रशांत के उपनिवेशी राष्ट्रों के बढ़ते तनाव के बीच राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये स्थापित किया गया था।

आसियान का आदर्श वाक्य ‘वन विजन, वन आइडेंटिटी, वन कम्युनिटी’ है।

8 अगस्त आसियान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

आसियान का सचिवालय इंडोनेशिया के राजधानी जकार्ता में है।

सदस्य राष्ट्र

  1. इंडोनेशिया
  2.  
  3. मलेशिया
  4.  
  5. फिलीपींस
  6.  
  7. सिंगापुर
  8.  
  9. थाईलैंड
  10.  
  11. ब्रुनेई
  12.  
  13. वियतनाम
  14.  
  15. लाओस
  16.  
  17. म्यांमार
  18.  
  19. कंबोडिया

उद्देश्य

  • दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के समृद्ध और शांतिपूर्ण समुदाय के लिये आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति तथा सांस्कृतिक विकास में तेजी लाने हेतु।
  • न्याय और कानून के शासन के लिये सम्मान तथा संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के पालन के माध्यम से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना।
  • आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी, वैज्ञानिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में सामान्य हित के मामलों पर सक्रिय सहयोग और पारस्परिक सहायता को बढ़ावा देना।
  • कृषि और उद्योगों के अधिक उपयोग, व्यापार विस्तार, परिवहन और संचार सुविधाओं में सुधार और लोगों के जीवन स्तर सुधार में अधिक प्रभावी ढंग से सहयोग करने के लिये।
  • दक्षिण पूर्व एशियाई अध्ययन को बढ़ावा देने के लिये।
  • मौज़ूदा अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों के साथ घनिष्ठ और लाभप्रद सहयोग बनाए रखने के लिये।

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (The South Asian Association for Regional Cooperation-SAARC)

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (The South Asian Association for Regional Cooperation-SAARC)  की स्थापना 8 दिसंबर,1985 को ढाका में सार्क चार्टर पर हस्ताक्षर के साथ की गई थी।

  • दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग का विचार सर्वप्रथम नवंबर 1980 में सामने आया था। सात संस्थापक देशों- बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव नेपाल, पाकिस्तान एवं श्रीलंका के विदेश सचिवों के परामर्श के बाद इनकी प्रथम मुलाकात अप्रैल 1981 में कोलंबिया में हुई थी। 
    • अफगानिस्तान वर्ष 2005 में आयोजित हुए 13वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में  सार्क का सबसे नया सदस्य बना। 
    • इस संगठन का मुख्यालय एवं सचिवालय नेपाल के काठमांडू में अवस्थित है। 

सिद्धांत 

  • सार्क के फ्रेमवर्क के तहत सहयोग निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित होगा: 
    • संप्रभु समानता, क्षेत्रीय अखंडता, राजनीतिक स्वतंत्रता, अन्य राज्यों के आंतरिक मामलों में गैर-हस्तक्षेप एवं पारस्परिक लाभ के सिद्धांतों का सम्मान करना। 
    • इस प्रकार का क्षेत्रीय सहयोग अन्य द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय सहयोग का विकल्प न होकर उसका एक पूरक होगा। 
    • ऐसा क्षेत्रीय सहयोग अन्य द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय दायित्वों के साथ असंगत नहीं होगा।

सार्क के सदस्य देश

saarc

  • सार्क में आठ सदस्य देश शामिल हैं:
    • अफगानिस्तान
    •  बांग्लादेश
    •  भूटान
    •  भारत 
    • मालदीव 
    • नेपाल
    •  पाकिस्तान 
    • श्रीलंका
  • वर्तमान में सार्क के 9 पर्यवेक्षक सदस्य देश हैं- (i) ऑस्ट्रेलिया (ii) चीन (iii) यूरोपियन यूनियन (iv) ईरान (v) जापान (vi) रिपब्लिक ऑफ कोरिया (vii) मॉरीशस (viii) म्याँमार एवं (ix) संयुक्त राज्य अमेरिका।

संगठन के कार्य क्षेत्र

  • मानव संसाधन विकास एवं पर्यटन
  • कृषि एवं ग्रामीण विकास
  • पर्यावरण, प्राकृतिक आपदा एवं बायो टेक्नोलॉजी
  • आर्थिक, व्यापार एवं वित्त
  • सामाजिक मुद्दे
  • सूचना एवं गरीबी उन्मूलन
  • उर्जा, परिवहन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
  • शिक्षा, सुरक्षा एवं संस्कृति और अन्य

सार्क का उद्देश्य

  • दक्षिण एशिया के लोगों के कल्याण को बढ़ावा देना एवं उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना।
  • इस क्षेत्र में आर्थिक वृद्धि, सामाजिक प्रगति, सांस्कृतिक विकास में तेज़ी लाना और सभी व्यक्तियों को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अवसर प्रदान करना तथा उनकी क्षमताओं को आकलन करना। 
  • दक्षिण एशिया के देशों के मध्य सामूहिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना एवं उसे मज़बूत करना।
  • एक-दूसरे की समस्याओं का मूल्यांकन, आपसी विश्वास और समझ को बढ़ावा देना।
  • आर्थिक, सामाजिक,सांस्कृतिक, तकनीकी एवं वैज्ञानिक क्षेत्रों में आपसी सहयोग एवं सक्रिय सहभागिता को प्रोत्साहित करना।
  • अन्य विकासशील देशों के साथ सहयोग को मजबूत बनाना।
  • समान हितों के मामलों में अंतर्राष्ट्रीय मंच पर आपसी सहयोग को मज़बूत बनाना।
  • अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय संगठनों के साथ समान उद्देश्यों एवं लक्ष्यों के साथ सहयोग करना।

प्रमुख अंग

  • राष्ट्र या सरकार के प्रमुखों की बैठक
    • ये बैठकें आमतौर पर वार्षिक आधार पर शिखर सम्मेलन स्तर पर आयोजित की जाती हैं।
  • विदेश सचिवों की स्थायी समिति
    • समिति संपूर्ण निगरानी एवं समन्वय स्थापित करती है, प्राथमिकताओं को निर्धारित करती है, संसाधनों को संगठित करती है और परियोजनाओं तथा वित्तपोषण को मंज़ूरी देती है।
  • सचिवालय
    • सार्क सचिवालय की स्थापना 16 जनवरी, 1987 को काठमांडू में की गई थी। इस सचिवालय की भूमिका संगठन की गतिविधियों के क्रियान्वयन हेतु समन्वय और निगरानी, एसोसिएशन की बैठकों से संबंधित सेवाएँ, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों एवं सार्क के मध्य संचार चैनल के रूप में कार्य करना है। 
    • इसके सचिवालय में महासचिव, सात निर्देशक एवं सामान्य सेवा कर्मचारी शामिल हैं। महासचिव की नियुक्ति रोटेशन बेसिस पर मंत्रिपरिषद द्वारा तीन साल के लिये की जाती है.

पन्द्रह देशों का समूह Group of – G-15

पन्द्रह देशों का समूह Group of – G-15

सदस्यता: अल्जीरिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, चिली, मिस्र, भारत, इंडोनेशिया, ईरान, जमैका, केन्या, मलेशिया, मेक्सिको, नाइजीरिया, सेनेगल, श्रीलंका, वेनेजुएला और जिम्बाब्वे।

उद्भव एवं विकास

पन्द्रह देशों के समूह (जी-15) का गठन 1989 में बेलग्रेड में आयोजित नवें गुट-निरपेक्ष शिखर सम्मलेन के दौरान तृतीय विश्व के लिए एक उत्प्रेरक की भूमिका निभाने के लिए एक कार्यशील समूह के रूप में हुआ। इस समूह के गठन के पीछे मुख्य उद्देश्य थे- विश्व के अग्रणी विकासशील देशों के बीच सहयोग की भावना को मजबूत करना और तत्कालीन जी-7 औद्योगिक देशों के लिये एक सेतु का कार्य करना। इस समूह के संस्थापक सदस्य थे- अर्जेंटीना, चिली, पेरू, ब्राजील, मैक्सिको, जमैका और वेनेजुएला (अमेरिका महाद्वीप से); मिस्र, अल्जीरिया, सेनेगल, नाइजीरिया और जिम्बाब्वे (अफ्रीका महाद्वीप से), और; भारत, मलेशिया और इण्डोनेशिया (एशिया महाद्वीप से)।

जी-15 का पहला शिखर सम्मेलन 1990 में मलेशिया में हुआ। 1996 में समूह के 11 सदस्य विश्व के 50 शीर्ष आयातक और निर्यातक देशों में थे। सामूहिक रूप से ये देश विश्व के 10 प्रतिशत मालों के निर्यात और 10 प्रतिशत आयात के लिये उत्तरदायी थे। इन देशों की कुल जनसंख्या 1.8 बिलियन है, जो विश्व की जनसंख्या का 30 प्रतिशत है।

जी-15 के प्रमुख उद्देश्य हैं-

 विकासशील देशों के मध्य अधिक और पारस्परिक लाभकारी सहयोग स्थापित करने के लिये व्यापक क्षमताओं का उपयोग करना; विकासशील देशों पर विश्व आर्थिक स्थिति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के प्रभाव की समीक्षा करना; नीतियों और कार्यवाहियों में समन्वय स्थापित करने के लिये विकासशील देशों के मध्य नियमित परामर्श हेतु एक मंच का कार्य करना; दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए ठोस योजनाओं की पहचान करना एवं उन्हें क्रियान्वित करना तथा उन योजनाओं के लिये व्यापक समर्थन जुटाना; अधिक सकारात्मक और लाभकारी उत्तर-दक्षिण संवाद को आगे बढ़ाना, तथा; सहयोगात्मक, सकारात्मक और परस्पर समर्थनकारी ढंग से समस्याओं के निदान के लिये मार्ग ढूंढना।

संरचना

जी-15 का सर्वोच्च निर्णयकारी अंग राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों का वार्षिक शिखर सम्मेलन है, जिसकी अध्यक्षता मेजबान सदस्य द्वारा की जाती है। वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारी करने और समूह के कार्यों में समन्वय स्थापित करने के लिये सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की प्रत्येक वर्ष साधारणतया दो बैठकें होती हैं। राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों के निजी प्रतिनिधि जी-15 के पुनश्चर्या कार्यों के लिये उत्तरदायी होते हैं। इन प्रतिनिधियों की प्रत्येक सप्ताह कम-से-कम चार बैठकें होती हैं तथा इनका मार्ग-निर्देशन एक त्रिगुट के द्वारा होता है, जिसमें समूह के वर्तमान, भूतपूर्व और भावी अध्यक्ष सम्मिलित होते हैं। आवश्यकता पड़ने पर जी-15 देशों के व्यापार और आर्थिक मंत्रियों की बैठक होती है। इसके अतिरिक्त जरूरत के अनुसार सदस्य देशों के अन्य मंत्रियों की भी बैठक होती है।

जी-15 की सहायता के लिये एक तकनीकी सहयोग सुविधा (टीएसएफ) का गठन किया गया है, जो जेनेवा में अवस्थित है। टीएसएफ वर्तमान अध्यक्ष के दिशा-निर्देशन में कार्य करता है तथा समूह की गतिविधियों को व्यापक और तकनीकी सचिवालय सहायता देने तथा उसके उद्देश्यों को प्रोत्साहित करने के लिये उत्तरदायी होता है।

जी-7 क्या है? G-7

जी-7 क्या है?

जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी कथित विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमरीका शामिल हैं. इसे ग्रुप ऑफ़ सेवन भी कहते हैं.

समूह खुद को "कम्यूनिटी ऑफ़ वैल्यूज" यानी मूल्यों का आदर करने वाला समुदाय मानता है. स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और क़ानून का शासन और समृद्धि और सतत विकास, इसके प्रमुख सिद्धांत हैं.


यह क्या करता है?

शुरुआत में यह छह देशों का समूह था, जिसकी पहली बैठक 1975 में हुई थी. इस बैठक में वैश्विक आर्थिक संकट के संभावित समाधानों पर विचार किया गया था. अगले साल कनाडा इस समूह में शामिल हो गया और इस तरह यह जी-7 बन गया.

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो)NATO

सामान्य परिचय:

  • उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को 12 संस्थापक सदस्यों द्वारा अमेरिका के वाशिंगटन में किया गया था। यह एक अंतर- सरकारी सैन्य संगठन है।
  • इसका मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में अवस्थित है। वर्तमान में इसके सदस्य देशों की संख्या 30 है।
  • नाटो यूरोप और उत्तरी अमेरिका के देशों के मध्य एक सैन्य गठबंधन है।
  • वर्ष 2017 एवं 2020 में क्रमश: मोंटेनेग्रो और उत्तरी मैसिडोनिया को सदस्य देश के रूप में शामिल किया गया है।
  • नाटो सामूहिक रक्षा के सिद्धांत पर काम करता है, जिसका तात्पर्य ‘एक या अधिक सदस्यों पर आक्रमण सभी सदस्य देशों पर आक्रमण माना जाता है। ज्ञातव्य है कि यह नाटो के अनुच्छेद 5 में निहित है। इस अनुच्छेद को पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका पर हुए आतंकवादी हमले (11 सितंबर, 2001)के बाद लागू किया गया था।
  • नाटो में कोई भी निर्णय सभी 30 सदस्यों के सामूहिक इच्छा के आधार पर ली जाती है। 
  • नाटो के सदस्य देशों का कुल सैन्य खर्च विश्व के सैन्य खर्च का 70% से अधिक है, जिसमें अमेरिका अकेले अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में अधिक खर्च करता है।

नाटो का उद्देश्य: 

  • इसकी  स्थापना के समय प्रमुख उद्देश्य पश्चिम यूरोप में सोवियत संघ की साम्यवादी विचारधारा को रोकना था।
  • राजनीतिक और सैन्य तरीकों से अपने सदस्य राष्ट्रों की स्वतंत्रता और सुरक्षा की गारंटी प्रदान करना
  •  वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने के लिये नवाचार एवं अनुकूलन के साथ-साथ उपकरणों के निर्माण को प्रोत्साहित करना।
  • सदस्य देशों के बीच एकजुटता और सामंजस्य की भावना पैदा करना।
  • यूरोप में व्यक्तिगत स्वतंत्रता, लोकतंत्र, मानव अधिकारों एवं कानून के शासन के समान मूल्यों के आधार पर स्थायी शांति सुनिश्चित करना।
  • अपने सदस्य देशों के क्षेत्र की रक्षा करना और जब संभव हो तो संकट को कम करने के लिये भी प्रयास करना ।
  • किसी भी सदस्य देश को राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में निर्धारित प्राथमिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिये मजबूर ना करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्पन्न होने वाले नए खतरों से निपटने हेतु न केवल सामूहिक रक्षा प्रदान करना बल्कि संकट की स्थितियों का प्रबंधन करने के साथ-साथ सहकारी सुरक्षा को प्रोत्साहित करना भी है।
  • समुद्र या समुद्र से संभावित खतरों से अपने सहयोगियों को रक्षा करने में मदद करना।
  • आतंकवाद को किसी भी रूप में स्वीकार न करना।

नाटो के कार्य:

  • नाटो आतंकवाद की समस्या से निपटने के साथ-साथ आतंकवादी हमले के परिणामों का प्रबंधन करने के लिये नई क्षमताओं और प्रौद्योगिकियों का विकास करता है।
  • नाटो लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने और अपने सदस्यों देशों की समस्याओं को हल करने के अलावा न केवल विश्वास का निर्माण करता है बल्कि रक्षा और सुरक्षा मामलों पर परामर्श और सहयोग की अनुमति भी देता है।
  • नाटो शांतिपूर्ण तरीके से विवादों को हल करने के लिये राजनयिक प्रयास करता है यदि ये प्रयास विफल होता है तो उसे इस प्रकार के संकट प्रबंधन कार्यों को करने के लिये सैन्य शक्ति का भी प्रयोग करना पड़ता है।
  • नाटो के मुख्य कार्य क्रमश सामूहिक सुरक्षा ,संकट प्रबंधन और सहकारी सुरक्षा है जिसे वर्तमान रणनीतीक अवधारणा (2010) के अंतर्गत निर्धारित किया गया है।
  • नाटो,नि:शस्रीकरण ,हथियारों के नियंत्रण और इसके अप्रसार के लिये वचनबद्ध है। इस प्रकार ये गठबंधन के सुरक्षा उद्देश्यों की उपलब्धि के साथ-साथ रणनीतिक स्थिरता और सामूहिक सुरक्षा के लिये भी एक आवश्यक योगदान देता है। 

पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन’(Organization of the Petroleum Exporting Countries- OPEC)

पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन’

(Organization of the Petroleum Exporting Countries- OPEC):  

  • OPEC एक स्थायी अंतर-सरकारी संगठन है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1960 में इराक में आयोजित बगदाद सम्मेलन (10-14 सितंबर, 1960) के दौरान की गई थी।
  • ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब और वेनेज़ुएला इस संगठन के पाँच संस्थापक सदस्य हैं। 
  • वर्तमान में इस संगठन के सदस्य देशों की संख्या 14 है।
  • OPEC के अनुसार, इस संगठन का उद्देश्य पेट्रोलियम उत्पादकों के लिये उचित और स्थिर कीमतों को सुरक्षित करने, उपभोक्ता राष्ट्रों को पेट्रोलियम की एक कुशल, किफायती तथा नियमित आपूर्ति एवं तेल उद्योग में निवेश करने वालों के लिये एक उचित लाभ को सुनिश्चित करने हेतु सदस्य देशों की पेट्रोलियम नीतियों के समन्वय और एकीकरण को बढ़ावा देना है।
  • OPEC का मुख्यालय वियना (आस्ट्रिया) में स्थित है।

EEC का क्या मतलब है?

  • EEC का क्या मतलब है?

  • यूरोपीय आर्थिक समुदाय (ईईसी) एक ऐसा संगठन था, जिसका उद्देश्य अपने छह संस्थापक सदस्यों: बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, लक्समबर्ग और नीदरलैंड के बीच आर्थिक एकीकरण लाना था।

CTBT क्या है?

CTBT क्या है?

व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) किसी के भी द्वारा किसी भी जगह (पृथ्वी की सतह पर, वायुमंड में, पानी के नीचे और भूमिगत) पर परमाणु विस्फोटों पर रोक लगाती है।

CTBT: नई व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (Comprehensive Test Ban Treaty-CTBT) पर भी हस्ताक्षर करने से भारत ने स्पष्ट इनकार कर दिया है। भारत के अनुसार यह संधि अपने वर्तमान स्वरूप में भेदभावपूर्ण, खामियों से भरी व नितांत अपूर्ण है।

  • भारत अपने स्पष्टीकरण में कह चुका था कि वह इस बात से सहमत नहीं है कि यह नई व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि परमाणु निरस्त्रीकरण पर समग्र व्यवस्था कायम करने में सफल हो पाएगी। 
  • भारत ने इस संधि  की सार्वभौमिक नाभिकीय निरस्त्रीकरण की एक क्रमिक प्रक्रिया के रूप में कल्पना की थी, जिससे एक समयबद्ध रूपरेखा के भीतर सभी नाभिकीय हथियारों के पूर्णत: नष्ट होने का मार्ग प्रशस्त हो सके।
  • भारत का यह भी मानना है कि इस व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि का उद्देश्य मात्र परमाणु विस्फोटों के परीक्षण को बंद करना नहीं था, अपितु परमाणु हथियारों के गुणात्मक विकास और उनके परिष्करण को विस्फोट अथवा अन्य माध्यमों से रोकना था।
  • इससे भारत के व्यापक राष्ट्रीय व सुरक्षा हितों की पुष्टि नहीं होती और उसके  रुख से स्पष्ट है कि वह अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों में अपने एटमी विकल्प को खुला रखेगा।

परमाणु अप्रसार संधि (Nuclear Non-Proliferation Treaty -NPT)

परमाणु अप्रसार संधि ?

  • परमाणु अप्रसार संधि जैसा कि नाम से ज़ाहिर है, परमाणु हथियारों का विस्तार रोकने और परमाणु टेक्नोलॉजी के शांतिपूर्ण ढंग से इस्तेमाल को बढ़ावा देने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का एक हिस्सा है। इस संधि की घोषणा 1970 में की गई थी।
  • अब तक संयुक्त राष्ट्र संघ के 188 सदस्य देश इसके पक्ष में हैं। इस पर हस्ताक्षर करने वाले देश भविष्य में परमाणु हथियार विकसित नहीं कर सकते।
  • हालाँकि, वे शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन इसकी निगरानी अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency-IAEA) के पर्यवेक्षक करेंगे।

परमाणु अप्रसार संधि (Nuclear Non-Proliferation Treaty -NPT)

  • परमाणु नि:शस्त्रीकरण की दिशा में परमाणु अप्रसार संधि (Non-Proliferation Treaty) को एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ माना जाता है।
  • यह 18 मई, 1974 को तब सामने आया जब भारत ने शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये अपना पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण किया ।
  • भारत का मानना है कि 1 जुलाई, 1968 को हस्ताक्षरित तथा 5 मार्च, 1970 से लागू परमाणु अप्रसार संधि भेदभावपूर्ण है, साथ ही यह असमानता पर आधारित एकपक्षीय व अपूर्ण है।
  • भारत का मानना है कि परमाणु आयुधों के प्रसार को रोकने और पूर्ण नि:शस्त्रीकरण के उद्देश्य की पूर्ति के लिये क्षेत्रीय नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किये जाने चाहियें।  
  • परमाणु अप्रसार संधि का मौजूदा ढाँचा भेदभावपूर्ण है और परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों के हितों का पोषण करता है।
  • यह परमाणु खतरे के साए तले जी रहे भारत जैसे देशों के हितों की अनदेखी करता है।
  • भारत के अनुसार, वे कारण आज भी बने हुए हैं जिनकी वज़ह से भारत ने अब तक इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं।
  • कह सकते हैं कि परमाणु अप्रसार संधि पर भारत का रुख बेहद स्पष्ट है। वह किसी की देखा-देखी या दबाव में इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं करेगा।  
  • इस पर हस्ताक्षर करने से पहले भारत अपने हितों और अपने भविष्य को सुरक्षित रखते हुए मामले के औचित्य पर पूरी तरह से विचार करेगा।
  • भारत इस अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करने से इनकार करता रहा है।  

इसके लिये भारत दो तर्क देता है:

  • इस संधि में इस बात की कोई व्यवस्था नहीं की गई है कि चीन की परमाणु शक्ति से भारत की सुरक्षा किस प्रकार सुनिश्चित हो सकेगी।
  • इस संधि पर हस्ताक्षर करने का अर्थ है कि भारत अपने विकसित परमाणु अनुसंधान के आधार पर परमाणु शक्ति का शांतिपूर्ण उपयोग नहीं कर सकता।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)

सामान्य जानकारी:

  • स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (World Health Organization-WHO) की स्थापना वर्ष 1948 हुई थी।
  • इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।
  • वर्तमान में 194 देश WHO के सदस्य हैं। 150 देशों में इसके कार्यालय होने के साथ-साथ इसके छह क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं।
  • यह एक अंतर-सरकारी संगठन है तथा सामान्यतः अपने सदस्य राष्ट्रों के स्वास्थ्य मंत्रालयों के सहयोग से कार्य करता है।
  • WHO वैश्विक स्वास्थ्य मामलों पर नेतृत्व प्रदान करते हुए स्वास्थ्य अनुसंधान संबंधी एजेंडा को आकार देता है तथा विभिन्न मानदंड एवं मानक निर्धारित करता है।
  • साथ ही WHO साक्ष्य-आधारित नीति विकल्पों को स्पष्ट करता है, देशों को तकनीकी सहायता प्रदान करता है तथा स्वास्थ्य संबंधी रुझानों की निगरानी और मूल्यांकन करता है।
  • WHO ने 7 अप्रैल, 1948 से कार्य आरंभ किया, अतः वर्तमान में 7 अप्रैल को प्रतिवर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।

उद्देश्य/कार्य:

  • अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संबंधी कार्यों पर निर्देशक एवं समन्वय प्राधिकरण के रूप में कार्य करना।
  • संयुक्त राष्ट्र के साथ विशेष एजेंसियों, सरकारी स्वास्थ्य प्रशासन, पेशेवर समूहों और ऐसे अन्य संगठनों जो स्वास्थ्य के क्षेत्र में अग्रणी हैं, के साथ प्रभावी सहयोग स्थापित करना एवं उसे बनाए रखना।
  • सरकारों के अनुरोध पर स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत करने के लिये सहायता प्रदान करना।
  • ऐसे वैज्ञानिक और पेशेवर समूहों के मध्य सहयोग को बढ़ावा देना जो स्वास्थ्य प्रगति के क्षेत्र में योगदान करते हैं।

WHO द्वारा किये गए अन्य प्रयास:

  • WHO ने कैंसर से निपटने के लिये भी अपने प्रयासों में वृद्धि की है जो समृद्ध राष्ट्रों की तरह ही अब विकासशील देशों में भी मौतों का कारण बन रहा है।
  • तंबाकू पुरुषों एवं महिलाओं दोनों की होने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण है।
  • इन मौतों को रोकने के लिये WHO द्वारा प्रत्येक देश में तंबाकू के सेवन को प्रतिबंधित करने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं।
  • एड्स की विश्वव्यापी महामारी ने इस घातक यौन संचारित वायरस के प्रसार को रोकने के लिये बढ़ते वैश्विक प्रयासों के बीच WHO के लिये एक और चुनौती पेश की है।
    • WHO एचआईवी पीड़ितों के स्व-परीक्षण की सुविधा पर कार्य कर रहा है ताकि HIV पीड़ित अधिक लोगों को उनकी स्थिति का पता चल सके और वे सही उपचार प्राप्त कर सकें।

विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत

(WHO and India):

  • भारत 12 जनवरी, 1948 को WHO का सदस्य बना।
  • WHO का दक्षिण-पूर्व एशिया का क्षेत्रीय कार्यालय नई दिल्ली में स्थित है।

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन' (UNESCO)

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन' (UNESCO) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है। यह शिक्षा, विज्ञान एवं संस्कृति के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से शांति स्थापित करने का  प्रयास करती है। 

यूनेस्को संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास समूह (United Nations Sustainable Development Group- UNSDG) का सदस्य है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों एवं संगठनों के इस समूह का उद्देश्य सतत् विकास लक्ष्यों को पूरा करना है। 

  • यूनेस्को का मुख्यालय पेरिस में अवस्थित है एवं विश्व में इसके 50 से अधिक क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
  • इसके 193 सदस्य देश एवं 11 संबद्ध सदस्य (अप्रैल 2020 तक) हैं और यह सामान्य सम्मेलन एवं कार्यकारी बोर्ड के माध्यम से नियंत्रित होता है।
    • यूनेस्को के सदस्य देशों में शामिल तीन देश संयुक्त राष्ट्र के सदस्य नहीं हैं: कुक द्वीप, निउए  एवं फिलिस्तीन, जबकि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों में से तीन देश इज़रायल ,लिकटेंस्टीन,संयुक्त राज्य अमेरिका यूनेस्को के सदस्य देश नहीं हैं।

उद्देश्य:

यूनेस्को के निम्नलिखित उद्देश्य हैं: 

  • सभी के लिये गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और उन्हें उम्र भर सीखने हेतु प्रेरित करना।
  • सतत् विकास के लिये नीति एवं विज्ञान संबंधी ज्ञान का उपयोग करना।
  • उभरती सामाजिक और नैतिक चुनौतियों को संबोधित करना।
  • सांस्कृतिक विविधता,परस्पर संवाद एवं शांति की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करना।
  • संचार एवं सूचना के माध्यम से समावेशी ज्ञान से युक्त समाज का निर्माण करना।
  • विश्व के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों जैसे ‘अफ्रीका’ एवं ‘लैंगिक समानता’ पर ध्यान केंद्रित करना।

यूनेस्को की विशेषज्ञताएँ 

शिक्षा जीवन बदल देती है

  • यूनेस्को संयुक्त राष्ट्र की एकमात्र ऐसी एजेंसी है जिसे शिक्षा के सभी पहलुओं को शामिल करने का अधिकार प्राप्त है।
  • यूनेस्को को सतत् विकास लक्ष्य-4 के माध्यम से ‘वैश्विक शिक्षा एजेंडा 2030’ का नेतृत्व सौंपा गया है। 
    • ‘एजुकेशन 2030 फ्रेमवर्क फॉर एक्शन’ (इंचियोन घोषणा- ) वैश्विक शिक्षा एजेंडा 2030 को प्राप्त करने के लिये एक रोडमैप हैं।
  • इसके कार्यों में शुरुआती शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा और उससे आगे तक शैक्षिक विकास शामिल है।
  • इसके विषयों में वैश्विक नागरिकता एवं सतत् विकास, मानवाधिकार और लैंगिक समानता, स्वास्थ्य तथा एचआईवी और एड्स के साथ ही तकनीकी एवं व्यावसायिक कौशल विकास शामिल है। 

संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ) United Nations International Children’s Emergency Fund

UNICEF का पूरा नाम संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ) United Nations International Children’s Emergency Fund  है जिसे हिंदी में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष भी कहते हैं| UNICEF की स्थापना 11 दिसम्बर साल 1946 में संयुक्त राष्ट्र के द्वारा न्यूयार्क में की गई थी और साल 1953 तक यूनीसेफ का पूरा नाम United Nations International Children’s Emergency Fund था.

संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ) 1946 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के बच्चों को भोजन, कपड़े और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए बनाया गया था। 1953 में, UNICEF संयुक्त राष्ट्र का एक स्थायी हिस्सा बन गया। जबकि उस समय इसका नाम संयुक्त राष्ट्र बाल कोष में रखा गया था, इसे अभी भी यूनिसेफ कहा जाता है।

यूनिसेफ की संरचना Structure Of UNICEF In Hindi

जबकि यूनिसेफ का मुख्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका में है, यह दुनिया भर के कम से कम 190 देशों में सक्रिय है। इसकी गतिविधियों को क्षेत्र से विभाजित किया गया है और इसमें मध्य और पूर्वी यूरोप और स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल, पूर्वी एशिया और प्रशांत, पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका, दक्षिण एशिया, पश्चिम और मध्य अफ्रीका शामिल हैं। प्रत्येक क्षेत्र के भीतर एक क्षेत्रीय कार्यालय स्थित है।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice)

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice) का मुख्यालय हॉलैंड शहर के  हेग में स्थित है. अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में वैधानिक विवादों के समाधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की स्थापना की गई है. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का निर्णय परामर्श माना जाता है एवं इसके द्वारा दिए गये निर्णय को बाध्यकारी रूप से लागू करने की शक्ति सुरक्षा परिषद् के पास है. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के द्वारा राज्यों के बीच उप्तन्न विवादों को सुलझाया जाता है, जैसे – सीमा विवाद, जल विवाद आदि. इसके अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र संघ की विभिन्न एजेंसियाँ अंतर्राष्ट्रीय विवाद के मुद्दों पर इससे परामर्श ले सकती हैं.

संरचना

न्यायालय की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है. किसी एक राज्य के एक से अधिक नागरिक एक साथ न्यायाधीश नहीं हो सकते. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में 15 न्यायाधीश होते हैं जिनका कार्यकाल 9 वर्षों का होता है.

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice)

  • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र का प्रधान न्यायिक अंग है।
  • इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा 1945 में की गई थी और अप्रैल 1946 में इसने कार्य करना प्रारंभ किया था।
  • इसका मुख्यालय (पीस पैलेस) हेग (नीदरलैंड) में स्थित है। 
  • इसके प्रशासनिक व्यय का भार संयुक्त राष्ट्र संघ वहन करता है।
  • इसकी आधिकारिक भाषाएँ अंग्रेजी और फ्रेंच हैं।
  • ICJ में 15 जज होते हैं, जो संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद् द्वारा नौ वर्षों के लिये चुने जाते हैं। इसकी गणपूर्ति संख्या (कोरम) 9 है। 
  • ICJ में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति पाने के लिये प्रत्याशी को महासभा और सुरक्षा परिषद् दोनों में ही बहुमत प्राप्त करना होता है।
  • इन न्यायाधीशों की नियुक्ति उनकी राष्ट्रीयता के आधार पर न होकर उच्च नैतिक चरित्र, योग्यता और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों पर उनकी समझ के आधार पर होती है।
  • एक ही देश से दो न्यायाधीश नहीं हो सकते हैं।
  • ICJ में पहले भारतीय मुख्य न्यायाधीश डा.नगेन्द्र सिंह थे।
  • संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार इसके सभी 193 सदस्य देश इस न्यायालय से न्याय पाने का अधिकार रखते हैं। हालाँकि जो देश संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य नहीं है वे भी यहाँ न्याय पाने के लिये अपील कर सकते हैं।
  • न्यायालय द्वारा सभापति तथा उप-सभापति का निर्वाचन और रजिस्ट्रार की नियुक्ति होती है।
  • मामलों पर निर्णय न्यायाधीशों के बहुमत से होता है। सभापति को निर्णायक मत देने का अधिकार है। न्यायालय का निर्णय अंतिम होता है तथा इस पर पुनः अपील नहीं की जा सकती है, परंतु कुछ मामलों में पुनर्विचार किया जा सकता है।

सुरक्षा परिषद् - Security Council

सुरक्षा परिषद्

संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र के अनुसार शांति एवं सुरक्षा बहाल करने की प्राथमिक जिम्मेदारी सुरक्षा परिषद् की होती है. इसकी बैठक कभी भी बुलाई जा सकती है. इसके फैसले का अनुपालन करना सभी राज्यों के लिए अनिवार्य है. इसमें 15 सदस्य देश शामिल होते हैं जिनमें से पाँच सदस्य देश – चीन, फ्रांस, सोवियत संघ, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका – स्थायी सदस्य हैं. शेष दस सदस्य देशों का चुनाव महासभा में स्थायी सदस्यों द्वारा किया जाता है. चयनित सदस्य देशों का कार्यकाल 2 वर्षों का होता है.

कार्य

  1. विश्व में शांति एवं सुरक्षा बनाए रखना.
  2. हथियारों की तस्करी को रोकना.
  3. आक्रमणकर्ता राज्य के विरुद्ध सैन्य कार्यवाही करना.
  4. आक्रमण को रोकने या बंद करने के लिए राज्यों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना.

संरचना

सुरक्षा परिषद् (Security Council) के वर्तमान समय में 15 सदस्य देश हैं जिसमें 5 स्थायी और 10 अस्थायी हैं. वर्ष 1963 में चार्टर संशोधन किया गया और अस्थायी सदस्यों की संख्या 6 से बढ़ाकर 10 कर दी गई. अस्थायी सदस्य विश्व के विभिन्न भागों से लिए जाते हैं जिसके अनुपात निम्नलिखित हैं –

  1. 5 सदस्य अफ्रीका, एशिया से
  2. 2 सदस्य लैटिन अमेरिका से
  3. 2 सदस्य पश्चिमी देशों से
  4. 1 सदस्य पूर्वी यूरोप से

संयुक्त राष्ट्र - United Nations UN

उद्देश्य

संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र की धारा एक के अनुसार संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations – UN) के निम्नलिखित उद्देश्य हैं –

  1. विश्व में अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बहाल करना.
  2. समान अधिकारों एवं जनता के स्वनिर्धारण के सिद्धातों के आधार पर देशों के बीच सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध का विकास करना.
  3. अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक-सामाजिक संस्कृति और मानवीय समस्याओं के निराकरण तथा मानवाधिकारों व मौलिक स्वतंत्रताओं के प्रति निष्ठा के संवर्धन के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करना.
  4. इन सामूहिक लक्षणों की प्राप्ति में राष्ट्रों के क्रियाकलाप में सहमति बनाने वाले केंद्र के रूप में अपनी पहचान बनाना.

सिद्धांत

  1. संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्यों की संप्रभु समानता.
  2. संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations – UN) द्वारा स्वीकृत किये गये चार्टर के सभी उत्तरदायित्वों का स्वेच्छा से पालन करना.
  3. अंतर्राष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण समाधान ताकि अंतर्राष्ट्रीय शांति, सुरक्षा और न्याय खतरे में न पड़े.
  4. सभी सदस्य ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे अन्य देशों की प्रादेशिक अखंडता पर आँच न आये.
  5. सभी सदस्य संयुक्त राष्ट्र संगठन को हर संभव सहायता उपलब्ध कराएँगे तथा ऐसे देश को किसी प्रकार की सहायता प्रदान नहीं करेंगे जिसके विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र संगठन कोई कार्रवाई कर रहा होगा.
  6. संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations – UN) इस बात का प्रयास करेगा कि जो देश संगठन के सदस्य नहीं है वे भी संगठन के सिद्धांतों के अनुकूल आचरण करे.
  7. जो मामले मूल रूप से किसी भी देश के आंतरिक क्षेत्राधिकार (घरेलू अधिकारिता) में आते हैं उनमें संयुक्त राष्ट्र हस्तक्षेप नहीं करेगा.

अंग

संयुक्त राष्ट्र संघ के 6 अंग हैं –

  1. संयुक्त राष्ट्र महासभा (General Assembly)
  2. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (Security Council)
  3. आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् (Economic and Social Council)
  4. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice)
  5. संयुक्त राष्ट्र सचिवालय (Secretariat)
  6. विशिष्ट एजेंसियाँ (Specialized Agencies )

औद्योगिक क्रांति का जीवन पर प्रभाव

औद्योगिक क्रांति

औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) के प्रारम्भ होने के पहले घरेलू उद्योग-धंधों का बोलबाला था. शिल्पकार, कारीगर, दस्तकार अपने घरों के सुन्दर-सुन्दर वस्तुएँ तैयार करते थे. औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप उत्पादन के तरीकों में आमूल परिवर्तन हुआ. मानवीय श्रम के स्थान पर यंत्रो का प्रोयग शुरू हुआ. नयी-नयी मशीनें बनीं. इस प्रकार दस्तकारी के स्थान पर वैज्ञानिक अनुसंधानों के फलस्वरूप जब कारखानों का जन्म  हुआ और उत्पादन में वृद्धि हुई तो इसे ही “औद्योगिक क्रांति ” की संज्ञा दी गई.

संक्षेप में, औद्योगिक क्रांति  का अभिप्राय उन परिवर्तनों से हैं जिन्होंने यह संभव कर दिया कि मनुष्य उत्पादन के प्राचीन तरीकों को छोड़कर बड़ी मात्रा में बड़े-बड़े कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन कर सके.

औद्योगिक क्रांति का जीवन पर प्रभाव

आर्थिक प्रभाव

  • उत्पादन में वृद्धि से वस्तुओं की उपलब्धता बढ़ी।
  • उत्पादन में वृद्धि से निर्यात में वृद्धि।
  • स्वतंत्र कारीगर कारखानों से प्रतिस्पर्द्धा नहीं कर सके, फलत: कुटीर उद्योग समाप्त हो गए।
  • बड़े-बड़े कृषि फार्मों की स्थापना के कारण छोटे किसानों को रोज़गार की तलाश में गाँवों से शहरों की ओर जाना पड़ा।
  • औद्योगिक केंद्रों के आस-पास नवीन नगरों का विकास हुआ।
  • अब शहर आर्थिक गतिविधियों का आधार बन गए।
  • बाज़ारों की आवश्यकता ने सरकारों को उपनिवेश प्राप्ति के लिये प्रेरित किया।
  • उत्पादक और उपभोक्ता के बीच प्रत्यक्ष संबंध समाप्त हो गया।
  • औद्योगिक पूंजीवाद का जन्म हुआ।

सामाजिक प्रभाव

  • औद्योगिक क्रांति से नए सामाजिक वर्गों का उदय हुआ जैसे- मज़दूर एवं पूंजीपति।
  • अब आर्थिक मापदंड संबंधों का मुख्य सूत्र बन गया।
  • संबंधों का अर्थ आधारित होने से समाज में आर्थिक असुरक्षा की भावना बढ़ गई।
  • समाज में मध्यम वर्ग का प्रभाव बढ़ गया।
  • श्रमिकों में सामाजिक चेतना का उदय।
  • संयुक्त परिवार के स्थान पर एकल परिवारों की संख्या में वृद्धि।
  • श्रमिकों के शोषण से वर्ग-संघर्ष की शुरुआत।
  • औद्योगिक नगरों व केंद्रों की जनसंख्या बढ़ने से उनमें स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गईं।
  • श्रमिकों को अमानुषिक एवं निराशाजनक परिस्थितियों में काम करना पड़ता था।
  • बाल श्रम की कुप्रथा व्यापक स्तर पर प्रचलित हो गई थी।
  • चिकित्सा क्षेत्र में हुई महत्त्वपूर्ण खोजों के कारण मृत्यु दर में कमी आई।
  • जनसंख्या वृद्धि से आवास समस्या बढ़ी और साथ ही बेरोज़गारी में वृद्धि हुई।
  • महिलाओं के अधिकारों के समर्थन में जनमत निर्मित हुआ।

राजनीतिक प्रभाव

  • औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप राज्य के प्रशासनिक कार्यों में वृद्धि हुई।
  • उभरते मध्यवर्ग की संसदीय सुधार की मांग के कारण मताधिकार का विस्तार हुआ।
  • राजनीतिक सत्ता भू-स्वामियों के हाथ से निकलकर उभरते मध्यवर्ग के हाथ में आ गई।

लेसर तकनीक

लेसर एक ऐसी तकनीक के रूप में विकसित हुई है, जिसकी सहायता से आज आधुनिक दुनिया के अनेक कार्य सिद्ध होते है। आधुनिक जगत में लेसर किरण का प्रयोग सभी जगह होता हैं। लेसर का उपयोग वैज्ञानिक प्रयोगशाला, शौपिंग मॉल, वायुसेना को गाइड करने व फाइबर केबलों तक सभी में हो रहा है। 

लेसर  की फुल फॉर्म- विकिरण के उद्दीपन उत्सर्जन द्वारा प्रकाश प्रवर्धन (Light Amplification by Stimulated Emission and Radiaion ) होती है।

लेसर के उपयोग (Uses of Laser in Hindi)-

1. रक्षा क्षेत्र में-

लेसर बोम्ब बनाने में लेसर का उपयोग किया जाता है जिनको पुंज हथियार(Beam Weapons) कहते है।
ये-ने लेसर सटीक निशाने में काम आती है इससे Small Arm System (INSAS ) में क्रान्ति आ गई है।
गुप्त हथियारों का पता लगाने वाले रडार में लेसर बीम काम आती हैं।  

2. चिकित्सा के क्षेत्र में- 
लेसर से ही रक्तविहीन ऑपरेशन करना संभव हो पाया है। जैसे आँख के ऑपरेशन में गैस लेसर का प्रयोग ।

3. संचार के क्षेत्र में-
लेसर प्रिंटर, लेसर स्कैनर, लेसर माउस, लेसर सी.डी., डी.वी.डी. को पढ़ने में, ऑप्टिकल फाइबर में संदेश भेजने में और बार कोड रीडर में लेसर का उपयोग किया जाता है।

4. नाभिकीय तकनीकी क्षेत्र में- 
एलआईएस तकनीकी से नाभिकीय संवर्धन में लेसर का उपयोग किया जाता है।

5. अंतरिक्ष के क्षेत्र में- 

 लेसर का उपयोग उपग्रहों को संदेश भेजने के लिए किया जाता है। जैसे सैटेलाइट इनसेट (INSAT) – Geo Stationary Orbit (3600-4000 Km) में भी संचार के लिए लेसर व मेज़र दोनों ही तकनीकों का प्रयोग किया जाता हैं। 

6. नवनिर्माण के क्षेत्र में- 
लेसर बीम से कई मशीनों और उपकरणों का निर्माण किया जा रहा है।

7. होलोग्राफी चित्र बनाने में- 
लेसर की सहायता से त्रिआयामी चित्र बनाया जाता है। 

ऑप्टिकल फाइबर । Optical Fiber


ऑप्टिकल फाइबर क्या है? what is optical fiber 

आप अक्सर ये सोचते होंगे कि इंटरनेट कैसे चलता है, कैसे दूरसंचार (communications) इतनी जल्दी हो पाता है? तो आपके सारे सवालों के जवाब आज आपको इस लेख में मिल जायेंगे। अाप ने ऑप्टिकल फाइबर का नाम तो जरूर सुना होगा।

ऑप्टिकल फाइबर एक ऐसी पतली तार होती है जिससे लाइट का उपयोग कर के डाटा ट्रांसफर बहुत ही तेज़ी से किया जाता है। आप को बता दे की एक स्पेशल कोण से लाइट दिखाने पर ये टोटल इंटरनल रिफ्लेक्शन (total internal reflection) के सिद्धांत पर चलता है।

ऑप्टिकल फाइबर में बिजली का संचार नहीं लाइट का संचार होता है। लाइट का उपयोग करके इसकी स्पीड को बहुत तेज़ किया गया है। ऑप्टिकल फाइबर पतले कांच या प्लास्टिक से बानी एक तार होती है जिससे लाइट के रूप में जानकारी का प्रवाह होता है। ये तारें किन्ही अन्य तारों के मुकाबले बहुत महंगी होती है।

आप को ये जानकार हैरानी होगी कि इसमे डाटा तीन लाख किलोमीटर पर सेकंड की रफ़्तार से ट्रैवेल करता है। दरअसल ये स्पीड लाइट की है और इसमें इसी का इस्तेमाल कर डाटा को इतनी तेज़ी के साथ भेजा जाता है।

ऑप्टिकल फाइबर कैसे काम करती हैं? (optical fiber communication in hindi)

ऑप्टिकल फाइबर पर जहाँ डाटा रिसीव किया जाता है वहां एक ट्रांसमीटर लगा होता है। आप को बता दे की यहीं से डाटा ऑप्टिकल फाइबर लाइन से जाता या आता है।

यह ट्रांसमीटर इलेक्ट्रॉनिक पल्स इनफार्मेशन को सुलझाता है और इसको प्रोसेस करके लाइट पल्स के रूप में ऑप्टिकल फाइबर लाइन में ट्रांसमिट कर देता है।

डिजिटल डाटा लाइट पल्स के रूप में केबल के अंदर भेजा जाता है। इनको रिसीवर एन्ड पर बाइनरी वैल्यू में बदल लिया जाता है। इसी को आपका कंप्यूटर समझ पता है और आपको जानकारी दे पता है।

ऑप्टिकल फाइबर केबल की संरचना (structure of optical fiber cable in hindi)

आप को जान कर हैरानी होगी की इसकी मोटाई आपके एक बाल से भी काम होती है। ऑप्टिकल फाइबर केबल में दो लेयर होती हैं। पहली लेयर का नाम कोर होता है और दूसरी का क्लैडिंग।

इनके रेफ्रेक्टिवे इंडेक्स की वजह से ही ऑप्टिकल फाइबर में इंटरनल रिफ्लेक्शन हो पाता है। इसको पोलीमाइड की लेयर से ढाका जाता है ताकि यह सुरक्षित रह सके।

उपयोग के हिसाब से और लेयर भी चढाई जा सकती हैं ताकि एनर्जी और लाइट एक से दूसरे फाइबर में न जा पाए।

ऑप्टिकल फाइबर केबल के प्रकार (types of optical fiber cable in hindi)

ऑप्टिकल केबल को उनकी स्ट्रेंथ और सिग्नल मोड के आधार पर बांटा जा सकता है।

स्ट्रेंथ के आधार पर:

लूज कॉन्फ़िगरेशन– लूज कॉन्फिग्रेशन फाइबर ऑप्टिक केबल में कांच या फाइबर कि कोर के चारों ओर एक लिक्विड जेल भरा होता है। ये जेल प्रोटेक्शन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसकी कीमत काफी काम होती है।

टाइट कॉन्फ़िगरेशन– इसमें स्ट्रेंथ वायर का प्रयोग किया जता है जो की इसे तोड़ने और मुड़ने से बचाती है। इनका वजन स्ट्रेंथ वायर के कारन ज्यादा हो जाता है।

सिग्नल मोड के आधार पर:

सिंगल मोड– सिंगल मोड में एक समय में एक ही सिग्नल का प्रवाह हो सकता है। यानि इसमें लाइट का एक ही मार्ग होता है। सिंगल मोड की क्षमता बहुत दूर डाटा पहुँचाने की होती है।

मल्टीमोड– मल्टिमोड़ में एक से ज्यादा सिग्नल का प्रवाह हो सकता है। यानि इसमें एक से अधिक लाइट मार्ग होते है। इन्हे कुछ इस रूप सेट किया जाता है की ये आपस में एक दूसरे न टकरायें या आपस में न मिलें। इसी कारण ये सिंगल मोड के मुकाबले काफी कम दुरी तय कर पाने में सक्षम हों पाती है।

ऑप्टिकल फाइबर के फायदे (benefits of optical fiber in hindi)

बड़े बैंडविड्थ: 
ऑप्टिकल फाइबर बहुत ही तेज़ी से बहुत काम समय में लम्बा सफर तय करने में सक्षम है। ये बिजली वाली तारों की तुलना में 10 से 100 गुनाअधिक बैंडविड्थ हो सकते हैं। जिसका मतलब यह ज्यादा डाटा लाने और ले जाने में सक्षम है। 

कम नुकसान: 
आप जानते होंगे लाइट की स्पीड बिजली से कई ज्यादा है। ऐसे में ये बिजली की तारों के मुकाबले काम नुकसानदेह होती हैं।
विद्युत चुम्बकीय हस्तक्षेप की प्रतिरक्षा: ऑप्टिकल फाइबर इंसुलेटर के बने हुए होते हैं, इस कारण मैग्नेटिक वेव इन पर कोई असर नहीं डाल सकती ।

छोटे आकार और हल्के: 
ऑप्टिकल फाइबर काफी छोटे होतें हैं इनकी मोटाई आप के बाल से भी काम होती है। इसकी इसी संरचना के कारण इनका वजन भी बहुत कम होता है। 

सुरक्षा:
ऑप्टिकल फाइबर डटा को पूरी सेफ्टी प्रदान करता है। इसकी सिक्योरिटी को तोडना इतना सस्ता और आसान नहीं है।

एनालॉग और डिजिटल सिग्नल ट्रांसमिशन: 
इसमें डाटा का एनालॉग तरीके से नहीं बल्कि डिजिटली तरीके से ट्रांसमिशन किया जाता है।आपको बता दे इसमें अनलॉग ट्रांसमिशन भी किया जा सकता है। एनालॉग ट्रांसमिशन में तीव्रता लगातार भिन्न होती रहती है इसी लिए डिजिटल मोड का उपयोग ज्यादा ठीक रहता है।

ऑप्टिकल फाइबर के नुकसान (disadvantages of optical fibers in hindi)

महंगी – ऑप्टिकल फाइबर आम डाटा ट्रांसफर केबलों के मुकाबले महंगी होती है।

मुश्किल सेटअप – ऑप्टिकल फाइबर का सेटअप बहुत ही कठिन होता है।

रिपेयर – इसको रिपेयर करना आसान नहीं होता है। इसके लिए कौशल कारीगरों की आवश्यकता होती है।

मल्टीमीडिया की परिभाषा और अवधारणा (Multimedia Definition and Concept)


मल्टीमीडिया की परिभाषा और अवधारणा (Multimedia Definition and Concept)

कंप्यूटर के क्षेत्र में मल्टीमीडिया एक लोकप्रिय टेक्नोलॉजी बन गया है वर्तमान समय में मल्टीमीडिया का उपयोग सभी क्षेत्रों में किया जाता है जैसे व्यवसाय, सिनेमा, शिक्षा, फैशन डिजाइन, विज्ञापन, मार्केटिंग कारपोरेट आदि| टेक्स्ट, ग्राफिक्स, वीडियो, एनिमेशन और ध्वनि की नई तकनीक पर होने वाले शोधकार्य इसे लगातार बेहतर बना रहे हैं| मल्टीमीडिया शब्द का अर्थ अलग-अलग लोगों के लिए अलग अलग होता है कुछ लोगों के लिए यह विपणन, मनोरंजन और शैक्षिक CD-ROM आदि है| दूसरों के लिए यह नवीनतम 3D प्रभाव हो सकता है, जो आप हॉलीवुड, बॉलीवुड की फिल्मों में देखते हैं या कुछ खूबसूरत एनिमेशन, ग्राफिक्स, ऑडियो और वीडियो वाली फ्लैश वेबसाइट पर देखते हैं|

मल्टीमीडिया का अर्थ (Meaning of Multimedia)

मल्टीमीडिया शब्द दो शब्दों मल्टी तथा मीडिया से मिलकर बना है मल्टी शब्द का अर्थ है ‘अनेक’ और मीडिया का अर्थ है ‘एक तरीका’ जिससे हम विचारों या सूचना को एक दूसरे को प्रस्तुत करते हैं| इस प्रकार मल्टीमीडिया दो या दो से अधिक मीडिया का संग्रह है जिसके द्वारा हम विचारों का आदान-प्रदान या सूचना का प्रदर्शन करते हैं|

टीवी सिस्टम मल्टीमीडिया का एक अच्छा उदाहरण है क्योंकि यह ऑडियो और वीडियो मीडिया का उपयोग करके जानकारी प्रस्तुत करता है ठीक इसी प्रकार विद्यार्थी की पुस्तकें भी मल्टीमीडिया उपकरण है, क्योंकि वे टेक्स्ट या ग्राफिक्स का उपयोग करके जानकारी देते हैं|

मल्टीमीडिया की परिभाषा (Definition of Multimedia)

मल्टीमीडिया ग्राफिक्स, टेक्स्ट, एनिमेशन, ऑडियो तथा वीडियो का कंबीनेशन है|

वह सब कुछ जो आप देख सुन सकते हैं जैसे टेक्स्ट, ग्राफिक्स, संगीत, वीडियो, ध्वनि, पुस्तकें, रिकॉर्ड, सीडी, डीवीडी, फिल्में और भी बहुत कुछ सब मल्टीमीडिया है मल्टीमीडिया एक खुद कंप्यूटर है या एक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर उत्पाद है व्यावहारिक अर्थ में मल्टीमीडिया कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का संयोजन है|

“ऐसा कंप्यूटर सिस्टम जिसमें मल्टीमीडिया सूचना के निर्माण, स्टोरेज, प्रदर्शन, परिवर्तन अथवा एक्सेस के उद्देश्य से दो अथवा अधिक प्रकार के माध्यमों, जैसे टेक्स्ट, ग्राफिक, साउंड एवं वीडियो को एकीकृत करने की क्षमता होती है उसे ‘मल्टीमीडिया कंप्यूटर सिस्टम’ कहा जाता है|”

मल्टीमीडिया की आवश्यकता (Needs of Multimedia)

मल्टीमीडिया हमारे लिए बहुत उपयोगी है इसके विभिन्न रूप हमारे रोजमर्रा के कार्य में सहायता करते हैं तथा यह अन्य महत्वपूर्ण कार्य में बहुत उपयोगी हैं मल्टीमीडिया का मुख्य उद्देश्य लोगों के साथ कम्युनिकेट करना है यदि आप घर या ऑफिस जा रहे हैं तो आप मल्टीमीडिया की संगीत का उपयोग कर सकते हैं, यदि आप टीचर है तो मल्टीमीडिया के विभिन्न रूपों का उपयोग करके आप अपने विद्यार्थियों को पढ़ा सकते हैं, यदि आप कंपनी की वेबसाइट बना रहे हैं तो मल्टीमीडिया का उपयोग करके आप इसे मनोरंजक बना सकते हैं| मल्टीमीडिया हमारे जीवन के हर क्षेत्र के लिए उपयोगी है मल्टीमीडिया इंफॉर्मेशन तकनीक तथा कंप्यूटर एप्लीकेशन हेतु बहुत महत्वपूर्ण है मल्टीमीडिया की सहायता से किसी भी विषय को पढ़ने से ज्यादा अच्छी तरह समझ आता है आप सूचना की भिन्न-भिन्न वैरायटी एक्सेस कर सकते हैं|



Tuesday, January 26, 2021

एक टीवी स्टेशन की संगठनात्मक संरचना

ऑनलाइन मीडिया के उदय के बावजूद, पारंपरिक प्रसारण टेलीविजन स्टेशन अभी भी केबल और उपग्रह के माध्यम से समाचार और मनोरंजन प्रदान करते हैं। इन स्टेशनों को गुनगुनाते रहने के लिए प्रबंधकों और कर्मचारियों की एक सत्य सेना होती है। मीडिया विशेषज्ञ जेम्स ग्लेन स्टोवाल के एक ऑनलाइन लेख के अनुसार, कंपनी के अध्यक्ष और महाप्रबंधक के मार्गदर्शन में टेलीविजन स्टेशनों को पांच बुनियादी विभागों में व्यवस्थित किया जाता है। ये विभाग समाचार, प्रोग्रामिंग, इंजीनियरिंग, बिक्री और विज्ञापन, और व्यवसाय प्रशासन हैं।

समाचार News

समाचार विभाग किसी भी टेलीविजन स्टेशन का स्थानीय चेहरा है। समाचार एंकर, रिपोर्टर, मौसम विज्ञानी और खेल एंकर आमतौर पर अपने समुदायों में पहचानने योग्य व्यक्तित्व बन जाते हैं। लेकिन पर्दे के पीछे कई लोग हैं जो समाचार कवरेज की सुविधा देते हैं, जिसमें समाचार निर्देशक, मेकअप कलाकार और विभिन्न निर्माता, संपादक और सामग्री लेखक शामिल हैं। उदाहरण के लिए, समाचार असाइनमेंट डेस्क पर एंट्री-लेवल के कर्मचारी समाचार-एकत्रीकरण ऑपरेशन की अग्रिम पंक्ति में हैं। वे समाचार-टिप फोन लाइनों का उपयोग करते हैं, पुलिस स्कैनर सुनते हैं, ईमेल के माध्यम से उतारा करते हैं और विज्ञप्ति जारी करते हैं और संपादकों और उत्पादकों को कहानियां और साक्षात्कार के साक्षात्कार में सहायता करते हैं।

प्रोग्रामिंग Programing

प्रोग्रामिंग विभागों में एक प्रबंधक और सहायक कर्मचारी हैं। प्रबंधक शेड्यूलिंग और स्थानीय टेलीविज़न लिस्टिंग सटीक और अद्यतित करने के लिए अन्य विभागों, विशेष रूप से उत्पादन या इंजीनियरिंग विभाग के साथ समन्वय करता है। यह व्यक्ति मूल कंपनियों के साथ नए शो के लिए एयरिंग अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए भी बातचीत करता है। हालांकि, नेशनल ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन की रिपोर्ट है कि कई बड़े स्टेशनों ने उच्च कॉर्पोरेट स्तरों पर पूर्व-निर्धारित होने वाली सामग्री के कारण प्रोग्रामिंग विभागों को कम कर दिया है। इसी तरह के कार्य के साथ एक अन्य विभाग यातायात विभाग है, जो विज्ञापन अनुसूची निर्धारित करता है और स्टेशन के प्रोग्रामिंग की मास्टर सूची को विकसित करने और संपादित करने में मदद करता है।

अभियांत्रिकी Engineering

यह विभाग प्रसारण और ऑन-एयर समय के तकनीकी पहलुओं को संभालता है। एक मुख्य अभियंता के तहत, जिसे प्रसारण संचालन के निदेशक के रूप में जाना जाता है, प्रबंधकों, इंजीनियरों और स्टूडियो चालक दल के सदस्यों के एक मेजबान हैं, जिसमें शो निर्देशक, कैमरामैन, ऑडियो बोर्ड ऑपरेटर, टेलीप्रॉम्प्टर ऑपरेटर, फोटोग्राफर, वीडियोग्राफर, टेप रूम एडिटर और इंजीनियरिंग तकनीशियन शामिल हैं। मास्टर नियंत्रण पर्यवेक्षक मास्टर नियंत्रण कक्ष और सभी स्विचबोर्ड ऑपरेटरों की देखरेख करते हैं। वे ट्रांसमीटर रीडिंग की निगरानी करते हैं, उपग्रह रिसीवर उपकरण संरेखित करते हैं और उचित क्रम में वीडियो एयर सुनिश्चित करते हैं।

बिक्री और विज्ञापन Sale And Advertising

यह टेलीविजन स्टेशन का विभाग है जो राजस्व उत्पन्न करता है। बिक्री के निदेशक राष्ट्रीय बिक्री प्रबंधक और स्थानीय बिक्री प्रबंधक सहित बिक्री प्रबंधकों की देखरेख करते हैं। पूर्व विज्ञापन राष्ट्रीय विज्ञापन फर्मों के बिक्री प्रतिनिधियों को संभालता है, हाई-प्रोफाइल क्लाइंट के लिए एयर टाइम बुक करने के लिए तंग समय सीमा पर काम करता है। उत्तरार्द्ध एक बिक्री कर्मचारियों की देखरेख करता है जिसमें खाता अधिकारी शामिल होते हैं। अक्सर कमीशन पर काम करते हुए, खाता अधिकारी स्थानीय बाजार पर ध्यान केंद्रित करते हैं, विज्ञापन बेचने के लिए व्यवसायों और अन्य संगठनों के साथ संपर्क बनाते हैं। विज्ञापन विभागों में उत्पादन कर्मचारी भी हो सकते हैं, जिनमें कला निर्देशक, इलेक्ट्रॉनिक ग्राफिक कलाकार और आवाज प्रतिभा, साथ ही साथ बाजार शोधकर्ता शामिल हैं जो रेटिंग की समीक्षा और व्याख्या करते हैं।

बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन Business Administration

व्यवसाय प्रशासन विभाग एक टीवी स्टेशन के दिन-प्रतिदिन के व्यवसाय को संभालता है। कार्यालय प्रबंधक या स्टेशन प्रबंधक सामान्य प्रबंधक के अधीन काम करते हैं और क्लर्क, रिसेप्शनिस्ट और अन्य सहायक कर्मचारियों की देखरेख करते हैं। नियंत्रक, आमतौर पर प्रमाणित सार्वजनिक लेखाकार, स्टेशन के वित्तीय लेनदेन, रिपोर्ट और बजट की देखरेख करते हैं। वे नकदी प्रवाह और व्यय के संबंध में अन्य विभाग प्रमुखों के साथ परामर्श करते हैं। मानव संसाधन या कार्मिक प्रबंधक कर्मचारियों को काम पर रखता है और सभी विभागों में एक सुरक्षित कार्यस्थल सुनिश्चित करता है। बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन स्टूडियो निर्माण से लेकर टॉयलेट तक सुविधा का ध्यान रखने वाले हाउस बिल्डिंग मेंटेनेंस वर्कर भी रख सकता है।

Monday, January 25, 2021

प्रसार भारती (भारत का प्रसारण निगम) अधिनियम, 1990 का संक्षिप्त विश्लेषण



प्रसार भारती (भारत का प्रसारण निगम) अधिनियम, 1990 का संक्षिप्त विश्लेष

प्रसार भारती (भारत का प्रसारण निगम) अधिनियम, 1990 का संक्षिप्त विश्लेषण

  

यह लेख मुश्ताक अहमद डार द्वारा लिखा गया है। इस लेख में, लेखक ने प्रसार भारती (ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) अधिनियम, 1990 को विस्तृत तरीके से समझाया है।

विषय - सूची

परिचय

मीडिया नागरिकों और राज्य के बीच सूचनाओं का मध्यस्थ है। यह हमारे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है जिसकी जनमत को आकार देने की जिम्मेदारी है। स्वस्थ लोकतंत्र के लिए एक जीवंत और स्वतंत्र मीडिया आवश्यक है। चूंकि मीडिया में सवाल और आलोचना की प्रकृति है, इसलिए पूरे देशों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। इसका मतलब यह है कि, किसी भी देश के लिए, जिसने शासन के लोकतांत्रिक मानदंडों की आकांक्षा की है, उसके लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रेस होना चाहिए।

यह  अधिनियम  ऑल इंडिया रेडियो  और  दूरदर्शन को स्वायत्तता प्रदान  करता है, जो दोनों पहले सरकारी नियंत्रण में थे।  संसद द्वारा सर्वसम्मति से पारित किए जाने के बाद अधिनियम को 12 सितंबर 1990 को भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली  । आखिरकार नवंबर 1997 में इसे लागू कर दिया गया।

प्रसार भारती भारत की सबसे बड़ी सार्वजनिक प्रसारण एजेंसी है। यह संसद के एक अधिनियम द्वारा स्थापित एक वैधानिक स्वायत्त निकाय है और इसमें दूरदर्शन टेलीविजन नेटवर्क और ऑल इंडिया रेडियो शामिल हैं, जो पहले सूचना और प्रसारण मंत्रालय की मीडिया इकाइयाँ थीं। 

आपातकालीन समय के साथ-साथ अन्य समयों में, दूरदर्शन का उपयोग सरकारी प्रचार के लिए किया जाता था। इस प्रकार, प्रसार भारती अधिनियम, 1990 स्थापित किया गया था। अधिनियम का मुख्य उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक मीडिया यानी ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन को स्वतंत्रता प्रदान करना है।

अधिनियम, यह क्या है?

प्रसार भारती अधिनियम एक प्रसार निगम की स्थापना के लिए प्रदान करता है, प्रसार भारती के रूप में जाना जाता है, और इसकी संरचना, कार्यों और शक्तियों को परिभाषित करता है। यह अधिनियम ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन को स्वायत्तता प्रदान करता है, जो दोनों पहले सरकारी नियंत्रण में थे। संसद द्वारा सर्वसम्मति से पारित किए जाने के बाद अधिनियम को 12 सितंबर 1990 को भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली। अंततः नवंबर 1997 में इसे लागू किया गया। प्रसार भारती अधिनियम द्वारा, संपत्ति, ऋण, देनदारियों, देय धनराशि, साथ ही साथ आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) और दूरदर्शन से जुड़े सभी मुकदमों और कानूनी कार्यवाही को प्रसार भारती में स्थानांतरित कर दिया गया।

उद्देश्य 

प्रसार भारती (भारत का प्रसारण निगम) अधिनियम, 1990 के दोहरे उद्देश्यों को कानून की धारा 12 में क्रिस्टलीकृत किया गया है। धारा 12 (3) (ए) में कहा गया है कि प्रसार भारती सुनिश्चित करता है कि "प्रसारण एक सार्वजनिक सेवा के रूप में किया जाता है।" फिर से, धारा 12 (3) (बी) यह पुष्ट करती है कि निगम की स्थापना का उद्देश्य समाचार एकत्र करना है, प्रचार नहीं। स्वतंत्रता के बाद के संघर्ष को सरकार के गला घोंटने से मुक्त प्रसारण के दशकों बाद यह अधिनियम अस्तित्व में आया। अधिनियम का विधायी इरादा सुप्रीम कोर्ट के 1995 के फैसले में सचिव, सूचना और प्रसारण मंत्रालय बनाम क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल में गूंज पाता है, जिसमें कहा गया था कि "प्रसारण स्वतंत्रता का पहला पहलू राज्य या सरकारी नियंत्रण से स्वतंत्रता है," विशेष रूप से सरकार द्वारा सेंसरशिप से ... सार्वजनिक प्रसारण को राज्य प्रसारण के साथ बराबर नहीं किया जाना है। दोनों अलग हैं। ” प्रसार भारती निगम का मुख्य उद्देश्य दूरदर्शन और आकाशवाणी को "जनता को शिक्षित और मनोरंजन करने" के लिए स्वायत्तता प्रदान करना है।

संक्षिप्त इतिहास, यह कैसे हुआ?

एक स्वायत्त प्रसारण निगम के प्रयासों को आपातकाल के बाद की बीजी वर्गीज कमेटी से पता लगाया जा सकता है, जिसने आकाश भारती या ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन के लिए नेशनल ब्रॉडकास्ट ट्रस्ट के गठन की सिफारिश की थी। पैनल ने फरवरी 1978 की अपनी रिपोर्ट में "एक कार्यकारी संसद द्वारा निरस्त किए गए कार्यकारी के रूप में, निष्पक्ष और स्वतंत्र निगम की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जिसने आपातकाल के दौरान प्रसारण का बेशर्मी से दुरुपयोग किया।" अगले साल, सूचना और प्रसारण मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए प्रसार भारती नामक एक स्वायत्त निगम के लिए एक विधेयक का प्रस्ताव रखा। लेकिन बिल लैप्स हो गया। एक बार जब जनता पार्टी फंस गई और इंदिरा गांधी वापस सत्ता में आईं, तो कांग्रेस सरकार ने 1982 में पीसी जोशी समिति को नियुक्त किया, जिसमें दूरदर्शन की प्रोग्रामिंग का मूल्यांकन करने का एक संकीर्ण जनादेश था।1989 में, प्रसार भारती बिल को राष्ट्रीय मोर्चा सरकार द्वारा पेश किया गया था। बिल ने पिछले बिल से कुछ सामग्री उधार ली और कुछ नए बदलाव भी किए। वीपी सिंह सरकार ने इस बिल को स्थानांतरित किया और अगस्त 1990 में लोकसभा में पारित किया गया। आखिरकार, प्रसार भारती 1997 में लागू हुआ, जो "प्रसार भारती अधिनियम" के तहत स्थापित हुआ और 23 नवंबर 1997 को अस्तित्व में आया।

प्रसार भारती (ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) अधिनियम, 1990

यह अधिनियम पूरे भारत में फैला हुआ है। अधिनियम में प्रसारण निगम की स्थापना का प्रावधान है। अधिनियम निगम की संरचना, शक्तियों और कार्यों को परिभाषित करता है। यह ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन को स्वायत्तता प्रदान करता है जो पहले सरकार के नियंत्रण में थे। अधिनियम की धारा 3 निगम की स्थापना और संरचना से संबंधित है। निगम एक निकाय कॉर्पोरेट है, जिसका उत्तराधिकारी उत्तराधिकारी है और नई दिल्ली में मुख्यालय के साथ एक आम मुहर है।

अधिनियम के संबंध में संशोधन और हालिया मसौदा बिल

2011 के प्रसार भारती संशोधन अधिनियम ने यह सुनिश्चित करने के लिए प्रावधानों में संशोधन किया कि आकाशवाणी और दूरदर्शन के सभी पदों को छोड़कर, कुछ अपवादों को छोड़कर 1 अप्रैल, 2000 से प्रसार भारती में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। संशोधन अधिनियम ने सेवा शर्तों को परिभाषित किया था। कुछ प्रमुख क्षेत्रों में कर्मचारियों में से कई।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने हाल ही में भर्ती बोर्ड नियमावली, 2020 के प्रसार भारती प्रतिष्ठान का मसौदा तैयार करके एक बड़ा कदम उठाया है, प्रसार भारती को एक स्वायत्त निकाय माना जाता है, फिर भी इसके कर्मचारियों को नियुक्त करने की व्यवस्था नहीं है। नतीजतन, अन्य सेवाओं से संबंधित सरकारी अधिकारी आम तौर पर प्रतिनियुक्ति पर प्रसार भारती में काम करने आते हैं। दशकों से प्रसार भारती भर्ती बोर्ड की स्थापना कभी नहीं की जा सकी क्योंकि I & B मंत्रालय और सार्वजनिक प्रसारणकर्ता के बीच अक्सर उनके ढांचे को लेकर मतभेद होते थे ।

धारा 3: निगम की स्थापना और संरचना

प्रसार भारती बोर्ड की संरचना

अधिनियम निगम के मामलों के सामान्य अधीक्षण, निर्देशन और प्रबंधन को निर्दिष्ट करता है। प्रसार भारती बोर्ड ऐसे सभी कार्य करता है और उन सभी शक्तियों का प्रयोग करता है जो निगम द्वारा की जा सकती हैं।

बोर्ड में शामिल होगा:

  • सभापति जी;
  • एक कार्यकारी सदस्य;
  • एक सदस्य (वित्त);
  • एक सदस्य (कार्मिक);
  • छह अंशकालिक सदस्य;
  • महानिदेशक (आकाशवाणी),  पूर्व अधिकारी;
  • महानिदेशक (दूरदर्शन),  पदेन;
  • केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय (भारत) का एक प्रतिनिधि, उस मंत्रालय द्वारा नामित किया जाएगा और
  • निगम के कर्मचारियों के दो प्रतिनिधि।

धारा 4: अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति

भारत का राष्ट्रपति पदेन सदस्यों, एक नामित सदस्य और निर्वाचित सदस्यों को छोड़कर अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति करता है। हर साल छह से कम बैठकें नहीं होंगी लेकिन तीन महीने एक बैठक और अगली बैठक के बीच हस्तक्षेप नहीं करेंगे।

धारा 12: निगम के कार्य और शक्तियां

निगम के कार्य और उद्देश्य

निगम का मुख्य उद्देश्य जनता को शिक्षित करना, सूचित करना और मनोरंजन करना है। लोगों के लिए सार्वजनिक प्रसारण सेवाओं का आयोजन और आयोजन करके, लोगों को आसान तरीके से जानकारी प्रदान करना आसान हो गया है। यह रेडियो और टेलीविजन पर प्रसारण के संतुलित विकास को भी सुनिश्चित करता है।

निम्नलिखित वस्तुएं हैं, अर्थात्;

  • आकाशवाणी और दूरदर्शन को स्वायत्तता प्रदान करना, ताकि निष्पक्ष, उद्देश्यपूर्ण और रचनात्मक तरीके से कार्य को सुनिश्चित किया जा सके।
  • देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए।
  • संविधान में निहित लोकतांत्रिक और सामाजिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए।
  • नागरिक के अधिकार की रक्षा के लिए स्वतंत्र रूप से, सच्चाई से और निष्पक्ष रूप से सूचित किया जाए।
  • साक्षरता, कृषि, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्रसार करना।
  • खेल और खेलों को पर्याप्त कवरेज प्रदान करके स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और खेल भावना की भावना को प्रोत्साहित करना।
  • कई कार्यक्रमों को प्रसारित करके विभिन्न क्षेत्रों की संस्कृतियों और भाषाओं को बढ़ावा देना।
  • युवाओं की विशेष जरूरतों को पूरा करने के लिए हमेशा विशेष कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए।
  • महिलाओं की समस्याओं को दूर करने के लिए महिलाओं के उत्थान पर विशेष ध्यान दें।
  • बच्चों, वृद्धों, अंधे, विकलांगों और अन्य कमजोर वर्गों की सुरक्षा के लिए विशेष कदम उठाने के लिए।
  • श्रमिक वर्गों के अधिकारों की रक्षा करना और उनके कल्याण को आगे बढ़ाना।
  • अल्पसंख्यकों और आदिवासी समुदायों की जरूरतों के लिए उपयुक्त कार्यक्रम प्रदान करना।
  • राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए जो राष्ट्र की सामुदायिक भाषा को बनाए रखेगा।
  • रेडियो प्रसारण और टेलीविजन प्रसारण प्रौद्योगिकी के अनुसंधान और विकास गतिविधियों को बढ़ावा देना।

संसदीय समिति

धारा 13 के अनुसार , इसमें संसद के बाईस सदस्य शामिल होंगे, जिनमें से पंद्रह लोगों का सदन सदस्यों द्वारा चुना जाएगा और सात राज्यों की परिषद के सदस्यों द्वारा चुने जाएंगे। समिति लोक सभा के अध्यक्ष द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार कार्य करेगी।

केंद्र सरकार की शक्तियां धारा 23 

अधिनियम के अनुसार, सरकार के निम्नलिखित अधिकार हैं:

  • समय-समय पर जब सरकार सोच सकती है कि वह भारत की एकता, संप्रभुता और अखंडता के लिए निगम को निर्देश जारी कर सकती है।
  • केंद्र सरकार को निगम को उन सूचनाओं को प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है, जिन पर सरकार विचार कर सकती है।
  • किसी भी कठिनाई के समय, केंद्र सरकार आधिकारिक गजट में आदेश प्रकाशित करके और कठिनाइयों को दूर करने के लिए प्रक्रिया कर सकती है।
  • केंद्र सरकार के पास नियम बनाने की शक्ति भी है। नियमों के संबंध में विचार किया जा सकता है:
  • वेतन और भत्ते और छुट्टी और पेंशन के संबंध में सेवा की शर्त।
  • अध्यक्ष और अंशकालिक सदस्यों को देय भत्ते।
  • नियंत्रण, प्रतिबंध और शर्तें जिनके लिए निगम अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति कर सकता है।
  • शर्तें और प्रतिबंध जो एक भर्ती बोर्ड स्थापित कर सकता है।
  • भर्ती बोर्ड के सदस्यों की योग्यता, अन्य शर्तें और अवधि।
  • अधिकारियों की सेवा की शर्तें और शर्तें।
  • फॉर्म और तरीके जिसमें वार्षिक विवरणी तैयार की जाएगी।

धारा 23: केंद्र सरकार को निर्देश देने की शक्ति 

केंद्र में अभी भी प्रसार भारती की बागडोर है क्योंकि इसमें निगम के लिए नियम बनाने, अनुदान या भत्ते जारी करने और कर्मचारियों के वेतन को नियंत्रित करने की शक्ति है।

धारा 23 केंद्र को निर्देश जारी करने की शक्तियां प्रदान करता है जो इसे "भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता के हितों में आवश्यक हो सकता है या राज्य की सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था के संरक्षण" "सार्वजनिक महत्व के किसी भी मामले" को प्रसारित नहीं करने के लिए।

एक प्रसारण निगम के लिए सच्ची स्वायत्तता का क्या अर्थ है, इस संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट ने जर्मन संवैधानिक न्यायालय द्वारा एक फैसले का उल्लेख किया है, जिसमें कहा गया है कि "राज्य नियंत्रण से स्वतंत्रता को विधायिका को कुछ बुनियादी नियमों को लागू करने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सरकार असमर्थ है कार्यक्रमों के चयन, सामग्री या शेड्यूलिंग पर किसी भी प्रभाव का अभ्यास करें ”।

प्रसार भारती के लिए स्वायत्तता: सैम पित्रोदा समिति की सिफारिशें

सैम पित्रोदा समिति ने फरवरी 2014 में प्रसार भारती को मजबूत करने के लिए न्यूनतम कार्रवाई की है। प्रसार भारती  की स्वायत्तता के लिए सैम पित्रोदा समिति द्वारा कुछ सिफारिशें की गई हैं  :

  • प्रसार भारती को प्रभावी स्वतंत्रता देने के लिए, प्रसार भारती अधिनियम, 1990 में संशोधन करें।
  • नियमों और विनियमों को लागू करने और सरकार की मंजूरी के बिना जनशक्ति को काम पर रखने के लिए, प्रसार भारती को शक्ति दी जानी चाहिए।
  • प्रसार भारती को "सरकारी प्रसारक" के रूप में "वास्तविक सार्वजनिक प्रसारक" बनना चाहिए।
  • डायरेक्ट-टू-होम (DTH) सिग्नल को प्राथमिक मोड में बनाने के लिए।
  • 5-7 वर्ष की अवधि के भीतर कुल व्यय का 50% सामग्री उत्पादन के लिए धन के आवंटन को बढ़ाने के लिए।
  • सार्वजनिक सेवा प्रसारण, उपग्रह और डिजिटल केबल टीवी संचालन के दायित्वों को पूरा करने के लिए विस्तार किया जाना चाहिए।
  • प्रसार बहरीन की सोशल मीडिया रणनीति को परिभाषित करने के लिए।
  • सभी चैनलों, दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो की समीक्षा करने के लिए और संसाधनों के उनके उप-इष्टतम उपयोग को चरणबद्ध किया जाना चाहिए।
  • सार्वजनिक सेवा प्रसारक, दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो के तीसरे हाथ के रूप में पीबीसी स्थापित करने के लिए।
  • यह अगली पीढ़ी के अवसरों, रणनीतियों, प्रौद्योगिकियों और आदि का उपयोग करके दुनिया में सबसे अच्छी प्रसारण सेवा होनी चाहिए।

कुछ महत्वपूर्ण केस लॉ 

यूनियन ऑफ इंडिया बनाम क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल AIR 1995

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि प्रसारण जनता के नियंत्रण में होना चाहिए और इसे सार्वजनिक वैधानिक निगम द्वारा संचालित किया जाना चाहिए। यह अनुच्छेद 19 (1) (क) में निहित है, जहां निगम, जिनका संविधान और संरचना ऐसे मामलों में उनकी निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए होनी चाहिए राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मामलों और अन्य सार्वजनिक मुद्दों में।

स्वतंत्र और अभिव्यक्ति के अधिकार में सूचना प्राप्त करने का अधिकार शामिल है। यह आवश्यक है कि नागरिकों को विचारों की बहुलता का लाभ मिले और सभी सार्वजनिक मुद्दों पर राय होनी चाहिए। नागरिकों के बीच विचारों, विचारों, विचारों और विचारधारा की विविधता होनी चाहिए। सरकारी नियंत्रित मीडिया की तुलना में निजी प्रसारण नागरिकों के स्वतंत्र भाषण के अधिकार के प्रति अधिक पूर्वाग्रहपूर्ण है।

BCCI- निम्बस प्रसार भारती केस 

न्यायालय के अनुसार, खेल अधिनियम की वस्तुएं और उद्देश्य प्रसार भारती के साथ खेल प्रसारण चैनलों के माध्यम से दर्शकों की सबसे बड़ी संख्या तक पहुंच प्रदान करना है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इसे अनिवार्य रूप से उन नागरिकों के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए जिनके पास केबल टेलीविजन तक नहीं है और केवल प्रसार भारती के स्थलीय और डीटीएच नेटवर्क तक पहुंच है। कोर्ट ने प्रसार भारती अधिनियम की धारा 12 (3) (सी) का गुण भी बताया।

भारत का संघ बनाम भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और ओआरएस

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि प्रसार भारती केबल ऑपरेटरों को सामग्री अधिकार धारकों / मालिकों से प्राप्त लाइव स्पोर्टिंग या क्रिकेटिंग इवेंट्स के संकेतों के मुफ्त प्रसारण में संलग्न नहीं कर सकता है।

निष्कर्ष 

प्रसार भारती महत्वपूर्ण है क्योंकि:

सार्वजनिक और निजी सेवा प्रसारक

निजी ब्रॉडकास्टर पब्लिक सर्विस ब्रॉडकास्टिंग के उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सकते हैं। प्राइवेट ब्रॉडकास्टर का मुख्य मकसद अपने विज्ञापनदाताओं के उत्पाद बेचना है। वे अपने विज्ञापनदाताओं के राजस्व पर निर्भर करते हैं। वाणिज्यिक प्रसारण सार्वजनिक सेवा प्रसारण की जरूरतों को पूरा नहीं करेगा क्योंकि वाणिज्यिक प्रसारण दर्शकों को उपभोक्ताओं के रूप में मानता है और नागरिकों के रूप में नहीं।

राष्ट्रीय प्रसारक

राष्ट्रीय प्रसारक प्रसार भारती सबसे बड़ा तकनीकी कवरेज है। प्रसार भारती सेवाएं देश के सभी कोने में उपलब्ध हैं। दूरस्थ और सीमावर्ती क्षेत्रों में यह 99.3% और भौगोलिक क्षेत्रों में 91.42% तक पहुँच जाता है। एक मजबूत राष्ट्रीय प्रसारक पूरे राष्ट्र के लिए राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। एक नेशनल ब्रॉडकास्टर वह है जिसका प्राकृतिक आपदाओं, युद्ध आदि जैसे आपातकालीन स्थितियों में एक बड़ा रणनीतिक महत्व है।

हमारे संविधान में नागरिक के मौलिक अधिकार के रूप में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी है। और हम सभी जानते हैं कि प्रसार भारती अभिव्यक्ति का एक साधन है और हमारे लोकतांत्रिक व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। सभी मीडिया प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जैसे अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता का आनंद ले रहे हैं। जैसा कि यह सर्वविदित है कि, प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया बड़े कॉर्पोरेट क्षेत्रों के स्वामित्व में हैं और अब ये कंपनियां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का आनंद ले रही हैं। इसलिए हम कल्पना नहीं कर सकते कि सार्वजनिक प्रसारक हर तरह के प्रतिबंधों से ग्रस्त है जो इसे सरकार के प्रभावी नियंत्रण में रखते हैं।

हालाँकि, प्रसार भारती लोगों के माध्यम के रूप में कार्य नहीं कर पाया है। यह व्यावहारिक रूप से कोई स्वतंत्रता नहीं है सिवाय दिन की सरकार की प्रशंसा के। यह आश्चर्य की बात नहीं है कि यह सार्वजनिक सम्मान में नहीं बढ़ी है।



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