कॉमनवेल्थ या राविमंडल खेल एक बहुराष्ट्रीय खेल आयोजन है। इसके साथ ही इसमें कई खेल एक साथ खेले जाते हैं। इस खेल में वह सभी देश हिस्सा लेते हैं, जो ओल के भी सदस्य हैं। इसका आयोजन हर चार साल में एक बार होता है। इसमें वह सभी खेल खेले जाते हैं जो ओलम्पिक का हिस्सा होते हैं साथ ही राष्ट्रमंडल खेलों के अपने कुछ खास खेल होते हैं। इस खेल के आयोजन पर नियंत्रण का काम राष्ट्रमंडल खेल संघ संभालता है।
राष्ट्रमण्डल खेल तीन नीतियों को मानता है कि
मानवता, समानता और नियति है । इसका मानना है कि इससे विश्वभर में शांति और सहयोग की भावना बढ़ेगी। यह हज़ारों लोगों को प्रेरणा देता है और उन्हें आप के साथ जोड़ कर रासुन्दर देशों के अंदर खेलों को अपनाने का संक्षिप्ति नजरिया प्रदान करेंगे।
इसके निर्धारण की बात करें तो इसमें 6 देश (आस्ट्रेलिया, कनाडा, इंग्लैण्ड, न्यूजीलैंड, स्कॉटलैन्ड और वेल्स) जैसे हैं जो प्रत्येक वर्ष में भाग लेते हैं। पिछले यानी मेलबोर्न में हुए कॉमन वेल्थ गेम्स में कुल 53 देशों के देशों सहित कुल 71 देशों की टीमों ने हिस्सा लिया था।
और हां, वर्ष 1930 में शुरू होने के बाद द्वितीय विश्व युद्ध की वजह से 1930-1942 के मध्य में इन खेलों का आयोजन न हो सका। मगर 1942 में एक बार फिर से इन खेलों का आयोजन होने लगा।
इसके प्रतीक और कुछ अन्य तथ्य भी बड़े आकर्षक हैं जैसे महारानी की बेटन रिले, प्रतीक और लोगो आदि।
मानवता, समानता और नियति है । इसका मानना है कि इससे विश्वभर में शांति और सहयोग की भावना बढ़ेगी। यह हज़ारों लोगों को प्रेरणा देता है और उन्हें आप के साथ जोड़ कर रासुन्दर देशों के अंदर खेलों को अपनाने का संक्षिप्ति नजरिया प्रदान करेंगे।
इसके निर्धारण की बात करें तो इसमें 6 देश (आस्ट्रेलिया, कनाडा, इंग्लैण्ड, न्यूजीलैंड, स्कॉटलैन्ड और वेल्स) जैसे हैं जो प्रत्येक वर्ष में भाग लेते हैं। पिछले यानी मेलबोर्न में हुए कॉमन वेल्थ गेम्स में कुल 53 देशों के देशों सहित कुल 71 देशों की टीमों ने हिस्सा लिया था।
और हां, वर्ष 1930 में शुरू होने के बाद द्वितीय विश्व युद्ध की वजह से 1930-1942 के मध्य में इन खेलों का आयोजन न हो सका। मगर 1942 में एक बार फिर से इन खेलों का आयोजन होने लगा।
इसके प्रतीक और कुछ अन्य तथ्य भी बड़े आकर्षक हैं जैसे महारानी की बेटन रिले, प्रतीक और लोगो आदि।
प्रतीक
राष्ट्रमंडल खेलों का कोई भी समान प्रतीक नहीं होता है। हर साल आयोजन करने वाले देश में अपने आप में यह प्रतीक को चुनते हैं। इस वर्ष भारत में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों का प्रतीक " शेरा " को रखा गया है। शेरा का तात्पर्य होता है शेर । इसके पर्दापण मेलबर्न के रासुन्दर खेलों के समापन समारोह में किया गया। शेरा को शौर्य, साहस, पराक्रम और भव्यता की निशानी माना जाता है। यह नारंगी और काली पट्टियाँ वाला शेर भारत की भावना को प्रकट करता है, जबकि इसके शौर्य की कहानी खिलाड़ियों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की भावना से भरता है। शेरा को बड़े दिल वाला माना जाता है जो सभी को "आओ और खेलो" की भावना से भर देता है।
राष्ट्रमंडल खेलों का कोई भी समान प्रतीक नहीं होता है। हर साल आयोजन करने वाले देश में अपने आप में यह प्रतीक को चुनते हैं। इस वर्ष भारत में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों का प्रतीक " शेरा " को रखा गया है। शेरा का तात्पर्य होता है शेर । इसके पर्दापण मेलबर्न के रासुन्दर खेलों के समापन समारोह में किया गया। शेरा को शौर्य, साहस, पराक्रम और भव्यता की निशानी माना जाता है। यह नारंगी और काली पट्टियाँ वाला शेर भारत की भावना को प्रकट करता है, जबकि इसके शौर्य की कहानी खिलाड़ियों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की भावना से भरता है। शेरा को बड़े दिल वाला माना जाता है जो सभी को "आओ और खेलो" की भावना से भर देता है।
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