परमाणु अप्रसार संधि ?
- परमाणु अप्रसार संधि जैसा कि नाम से ज़ाहिर है, परमाणु हथियारों का विस्तार रोकने और परमाणु टेक्नोलॉजी के शांतिपूर्ण ढंग से इस्तेमाल को बढ़ावा देने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का एक हिस्सा है। इस संधि की घोषणा 1970 में की गई थी।
- अब तक संयुक्त राष्ट्र संघ के 188 सदस्य देश इसके पक्ष में हैं। इस पर हस्ताक्षर करने वाले देश भविष्य में परमाणु हथियार विकसित नहीं कर सकते।
- हालाँकि, वे शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन इसकी निगरानी अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency-IAEA) के पर्यवेक्षक करेंगे।
परमाणु अप्रसार संधि (Nuclear Non-Proliferation Treaty -NPT)
- परमाणु नि:शस्त्रीकरण की दिशा में परमाणु अप्रसार संधि (Non-Proliferation Treaty) को एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ माना जाता है।
- यह 18 मई, 1974 को तब सामने आया जब भारत ने शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिये अपना पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण किया ।
- भारत का मानना है कि 1 जुलाई, 1968 को हस्ताक्षरित तथा 5 मार्च, 1970 से लागू परमाणु अप्रसार संधि भेदभावपूर्ण है, साथ ही यह असमानता पर आधारित एकपक्षीय व अपूर्ण है।
- भारत का मानना है कि परमाणु आयुधों के प्रसार को रोकने और पूर्ण नि:शस्त्रीकरण के उद्देश्य की पूर्ति के लिये क्षेत्रीय नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किये जाने चाहियें।
- परमाणु अप्रसार संधि का मौजूदा ढाँचा भेदभावपूर्ण है और परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों के हितों का पोषण करता है।
- यह परमाणु खतरे के साए तले जी रहे भारत जैसे देशों के हितों की अनदेखी करता है।
- भारत के अनुसार, वे कारण आज भी बने हुए हैं जिनकी वज़ह से भारत ने अब तक इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं।
- कह सकते हैं कि परमाणु अप्रसार संधि पर भारत का रुख बेहद स्पष्ट है। वह किसी की देखा-देखी या दबाव में इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं करेगा।
- इस पर हस्ताक्षर करने से पहले भारत अपने हितों और अपने भविष्य को सुरक्षित रखते हुए मामले के औचित्य पर पूरी तरह से विचार करेगा।
- भारत इस अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करने से इनकार करता रहा है।
इसके लिये भारत दो तर्क देता है:
- इस संधि में इस बात की कोई व्यवस्था नहीं की गई है कि चीन की परमाणु शक्ति से भारत की सुरक्षा किस प्रकार सुनिश्चित हो सकेगी।
- इस संधि पर हस्ताक्षर करने का अर्थ है कि भारत अपने विकसित परमाणु अनुसंधान के आधार पर परमाणु शक्ति का शांतिपूर्ण उपयोग नहीं कर सकता।
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