Thursday, January 28, 2021

ध्वनि प्रदूषण क्या है | वायु प्रदूषण | जल प्रदूषण क्या है.

ध्वनि प्रदूषण


ध्वनि प्रदूषण उस स्थिति में उत्पन्न होता है जब पर्यावरण में आवाज का स्तर सामान्य स्तर से बहुत अधिक होता है। पर्यावरण में अत्यधिक शोर की मात्रा जीने के उद्देश्य से असुरक्षित है। कष्टकारी आवाज प्राकृतिक सन्तुलन में बहुत सी परेशानियों का कारण बनती है। तेज आवाज या ध्वनि अप्राकृतिक होती है और अन्य आवाजों के बाहर जाने में बाधा उत्पन्न करती है। आधुनिक और तकनीकी के इस संसार में, जहां सब कुछ घर में या घर के बाहर बिजली के उपकरणों से संभव है, ने तेज ध्वनि के खतरे के अस्तित्व में वृद्धि कर दी है।

ध्वनि प्रदुषण के कारण - 

  1. उद्योग
    लगभग सभी औद्योगिक क्षेत्र ध्वनि प्रदूषण से प्रभावित हैं कल-कारखानों में चलने वाली मशीनों से उत्पन्न आवाज/गड़गड़ाहट इसका प्रमुख कारण है. ताप विद्युत गृहों में लगे ब्यायलर, टरबाइन काफी शोर उत्पन्न करते हैं.
  2. परिवहन के साधन
    परिवहन के सभी साधन कम या अधिक मात्रा में ध्वनि उत्पन्न करते हैं. इनसे होने वाला प्रदूषण बहुत अधिक क्षेत्र में होता है. इससे ध्वनि प्रदूषण के साथ वायु प्रदूषण की कल्पना स्वतः की जा सकती है.
  3. मनोरंजन के साधन
    मनुष्य अपने मनोरंजन के लिए टी.वी., रेडियो, टेपरिकॉर्डर, म्यूजिक सिस्टम (डी.जे.) जैसे साधनों से अपना मनोरंजन करता है परन्तु इनसे उत्पन्न तीव्र ध्वनि शोर का कारण बन जाती है. विवाह, धार्मिक आयोजनों, मेंलों, पार्टियों में लाऊड स्पीकर का प्रयोग और डी.जे. के चलन भी ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है.
  4. निर्माण कार्य
    घर बनाने के लिए आजकल लगातार कंस्ट्रक्शन का काम चलता ही रहता है. विभिन्न निर्माण कार्यों में प्रयुक्त विभिन्न मशीनों और औजारों के प्रयोग से भी फलस्वरूप ध्वनि प्रदूषण बढ़ा है.
  5. आतिशबाजी
    हमारे देश में विभिन्न त्योहारों, उत्सवों, मेंलों, सांस्कृतिक/वैवाहिक समारोहों में आतिशबाजी एक आम बात है. इन आतिशबाजियों से वायु प्रदूषण तो होता ही है साथ ही ध्वनि तरंगों की तीव्रता भी इतनी अधिक होती है, जो ध्वनि प्रदूषण जैसी समस्या को जन्म देती है.
  6. अन्य कारण
    विभिन्न सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक रैलियों श्रमिक संगठनों की रैलियों का आयोजन इत्यादि अवसरों पर एकत्रित जनसमूहों के वार्तालाप से भी ध्वनि तरंग तीव्रता अपेक्षाकृत अधिक होती है. इसी प्रकार प्रशासनिक कार्यालयों, स्कूलों, कालेजों, बस स्टैण्डों, रेलवे स्टेशनों पर भी विशाल जनसंख्या के शोरगुल के फलस्वरूप भी ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न होता है.

क्या है वायु प्रदूषण? (What is Air pollution?-Hindi)

जब वातावरण में खतरनाक पदार्थों जैसे गैस, कण (particles) और जैविक अणु की मात्रा काफी ज्यादा हो जाती है, तो उस स्थिति को वायु प्रदूषण या एयर पॉल्यूशन कहा जाता है।

अगर वायु प्रदूषण को समय रहते काबू में न किया जाए तो यह कई सारी समस्याओं जैसे ग्लोबल वार्मिंग  का होना, दिल की बीमारी का होना, फेफड़ों की बीमारी होना, कैंसर होना, मानसिक समस्या, किडनी की बीमारी इत्यादि  हो सकती हैं।

वायु प्रदूषण किन कारणों से होता है? (Causes of Air pollution-Hindi)

वायु प्रदूषण कई कारणों से हो सकता है, जिनमे से प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

  • लकड़ी को जलाना- अक्सर,लोग खाना बनाने के लिए लकड़ियों का इस्तेमाल करते हैं।
    उनके लकड़ी के जलाने का असर वातावरण पर पड़ता है और वह ज्यादा खराब हो जाता है।
    इस तरह से वायु प्रदूषण को बढ़ाने में लकड़ी को जलाना भी शामिल है।

  • गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ- आज के दौर में, लोग गाड़ियों का इस्तेमाल काफी ज्यादा करते हैं।
    इन गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ वायु प्रदूषण को बढ़ाता है और वातावरण को खराब करता है।

  • उद्योगों से निकलने वाला धुंआ- फैक्टरियों का विकास लगभग सभी जगह हो गया है।
    आप किसी भी शहर में जाएं, वहां पर आपको एक या दो फैक्टरी देखने को मिल ही जाएगी।
    एक ओर, जहां फैक्टरियां जहां पर देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, वहीं दूसरी ओर, इन फैक्टरियों से निकले वाला धुंआ वायु प्रदूषण को भी काफी हद तक बढ़ाता है।

  • खराब फसलों को जलाना- जब किसानों की फसले खराब हो जाती है, तब वे इन फसलों को जलाते हैं।
    ये फसले वातावरण को प्रदूषित करती हैं और वायु प्रदूषण का कारण बनती हैं।

  • प्लास्टिक या पत्तों इत्यादि को जलाना- वायु प्रदूषण के बढ़ने में प्लास्टिक या पत्तों जैसे पदार्थों को जलाना भी शामिल है।
    इसी कारण, लोगों को ऐसी चीजों को नहीं चलाना जाए, तो वातावरण को नुकसान पहुंचाएं।

  • जंगलों में लगी आग का धुंआ- इन दिनों जंगलों में आग लगने की खबरे काफी आती रहती हैं।
    यह आग भी हमारे वातावरण को खराब करती है और वायु प्रदूषण को बढ़ाती है।



  • जल प्रदूषण क्या है

  • जल प्रदूषण  जल भी पर्यावरण का अभिन्न अंग है। मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। मानव स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ जल का होना नितांत आवश्यक है। जल की अनुपस्थित में मानव कुछ दिन ही जिन्दा रह पाता है क्योंकि मानव शरीर का एक बड़ा हिस्सा जल होता है। अतः स्वच्छ जल के अभाव में किसी प्राणी के जीवन की क्या, किसी सभ्यता की कल्पना, नहीं की जा सकती है। यह सब आज मानव को मालूम होते हुए भी जल को बिना सोचे-विचारे हमारे जल-स्रोतों में ऐसे पदार्थ मिला रहा है जिसके मिलने से जल प्रदूषित हो रहा है। जल हमें नदी, तालाब, कुएँ, झील आदि से प्राप्त हो रहा है। जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण आदि ने हमारे जल स्रोतों को प्रदूषित किया है जिसका ज्वलंत प्रमाण है कि हमारी पवित्र पावन गंगा नदी जिसका जल कई वर्षों तक रखने पर भी स्वच्छ व निर्मल रहता था लेकिन आज यही पावन नदी गंगा क्या कई नदियाँ व जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं। यदि हमें मानव सभ्यता को जल प्रदूषण के खतरों से बचाना है तो इस प्राकृतिक संसाधन को प्रदूषित होने से रोकना नितांत आवश्यक है वर्ना जल प्रदूषण से होने वाले खतरे मानव सभ्यता के लिए खतरा बन जायेंगे।

जल प्रदूषण के कारण -

1. औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप आज कारखानों की संख्या में वृद्धि हुई है लेकिन इन कारखानों को लगाने से पूर्व इनके अवशिष्ट पदार्थों को नदियों, नहरों, तालाबों आदि किसी अन्य स्रोतों में बहा दिया जाता है जिससे जल में रहने, वाले जीव-जन्तुओं व पौधों पर तो बुरा प्रभाव पड़ता ही है साथ ही जल पीने योग्य नहीं रहता और प्रदूषित हो जाता है।

2. जनसंख्या वृद्धि से मलमूत्र हटाने की एक गम्भीर समस्या का समाधान नासमझी में यह किया गया कि मल-मूत्र को आज नदियों व नहरों आदि में बहा दिया जाता है, यही मूत्र व मल हमारे जल स्रोतों को दूषित कर रहे हैं।

3. जब जल में परमाणु परीक्षण किये जाते हैं तो जल में इनके नाभिकीय कण मिल जाते हैं और ये जल को दूषित करते हैं।

4. गाँव में लोगों के तालाबों, नहरों में नहाने, कपड़े धोने, पशुओं को नहलाने बर्तन साफ करने आदि से भी ये जल स्रोत दूषित होते हैं।
5. कुछ नगरों में जो कि नदी के किनारे बसे हैं वहाँ पर व्यक्ति के मरने के बाद उसका शव पानी में बहा दिया जाता है। इस शव के सड़ने व गलने से पानी में जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि होती है, जल सड़ाँध देता है और जल प्रदूषित होता है।

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