दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (The South Asian Association for Regional Cooperation-SAARC) की स्थापना 8 दिसंबर,1985 को ढाका में सार्क चार्टर पर हस्ताक्षर के साथ की गई थी।
- दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग का विचार सर्वप्रथम नवंबर 1980 में सामने आया था। सात संस्थापक देशों- बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव नेपाल, पाकिस्तान एवं श्रीलंका के विदेश सचिवों के परामर्श के बाद इनकी प्रथम मुलाकात अप्रैल 1981 में कोलंबिया में हुई थी।
- अफगानिस्तान वर्ष 2005 में आयोजित हुए 13वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में सार्क का सबसे नया सदस्य बना।
- इस संगठन का मुख्यालय एवं सचिवालय नेपाल के काठमांडू में अवस्थित है।
सिद्धांत
- सार्क के फ्रेमवर्क के तहत सहयोग निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित होगा:
- संप्रभु समानता, क्षेत्रीय अखंडता, राजनीतिक स्वतंत्रता, अन्य राज्यों के आंतरिक मामलों में गैर-हस्तक्षेप एवं पारस्परिक लाभ के सिद्धांतों का सम्मान करना।
- इस प्रकार का क्षेत्रीय सहयोग अन्य द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय सहयोग का विकल्प न होकर उसका एक पूरक होगा।
- ऐसा क्षेत्रीय सहयोग अन्य द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय दायित्वों के साथ असंगत नहीं होगा।
सार्क के सदस्य देश
- सार्क में आठ सदस्य देश शामिल हैं:
- अफगानिस्तान
- बांग्लादेश
- भूटान
- भारत
- मालदीव
- नेपाल
- पाकिस्तान
- श्रीलंका
- वर्तमान में सार्क के 9 पर्यवेक्षक सदस्य देश हैं- (i) ऑस्ट्रेलिया (ii) चीन (iii) यूरोपियन यूनियन (iv) ईरान (v) जापान (vi) रिपब्लिक ऑफ कोरिया (vii) मॉरीशस (viii) म्याँमार एवं (ix) संयुक्त राज्य अमेरिका।
संगठन के कार्य क्षेत्र
- मानव संसाधन विकास एवं पर्यटन
- कृषि एवं ग्रामीण विकास
- पर्यावरण, प्राकृतिक आपदा एवं बायो टेक्नोलॉजी
- आर्थिक, व्यापार एवं वित्त
- सामाजिक मुद्दे
- सूचना एवं गरीबी उन्मूलन
- उर्जा, परिवहन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
- शिक्षा, सुरक्षा एवं संस्कृति और अन्य
सार्क का उद्देश्य
- दक्षिण एशिया के लोगों के कल्याण को बढ़ावा देना एवं उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना।
- इस क्षेत्र में आर्थिक वृद्धि, सामाजिक प्रगति, सांस्कृतिक विकास में तेज़ी लाना और सभी व्यक्तियों को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अवसर प्रदान करना तथा उनकी क्षमताओं को आकलन करना।
- दक्षिण एशिया के देशों के मध्य सामूहिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना एवं उसे मज़बूत करना।
- एक-दूसरे की समस्याओं का मूल्यांकन, आपसी विश्वास और समझ को बढ़ावा देना।
- आर्थिक, सामाजिक,सांस्कृतिक, तकनीकी एवं वैज्ञानिक क्षेत्रों में आपसी सहयोग एवं सक्रिय सहभागिता को प्रोत्साहित करना।
- अन्य विकासशील देशों के साथ सहयोग को मजबूत बनाना।
- समान हितों के मामलों में अंतर्राष्ट्रीय मंच पर आपसी सहयोग को मज़बूत बनाना।
- अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय संगठनों के साथ समान उद्देश्यों एवं लक्ष्यों के साथ सहयोग करना।
प्रमुख अंग
- राष्ट्र या सरकार के प्रमुखों की बैठक
- ये बैठकें आमतौर पर वार्षिक आधार पर शिखर सम्मेलन स्तर पर आयोजित की जाती हैं।
- विदेश सचिवों की स्थायी समिति
- समिति संपूर्ण निगरानी एवं समन्वय स्थापित करती है, प्राथमिकताओं को निर्धारित करती है, संसाधनों को संगठित करती है और परियोजनाओं तथा वित्तपोषण को मंज़ूरी देती है।
- सचिवालय
- सार्क सचिवालय की स्थापना 16 जनवरी, 1987 को काठमांडू में की गई थी। इस सचिवालय की भूमिका संगठन की गतिविधियों के क्रियान्वयन हेतु समन्वय और निगरानी, एसोसिएशन की बैठकों से संबंधित सेवाएँ, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों एवं सार्क के मध्य संचार चैनल के रूप में कार्य करना है।
- इसके सचिवालय में महासचिव, सात निर्देशक एवं सामान्य सेवा कर्मचारी शामिल हैं। महासचिव की नियुक्ति रोटेशन बेसिस पर मंत्रिपरिषद द्वारा तीन साल के लिये की जाती है.
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