Thursday, April 9, 2020

मानहानि का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, नियम, कानून और बचाव Defamation law and Rule Defamation Meaning, Definition, type, rules, law and protection

मानहानि का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, नियम, कानून और बचाव  
Defamation law and Rule
Defamation Meaning, Definition, type, rules, law and protection 
मानहानि का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, नियम, कानून और बचाव


मानहानि (Defamation)


किसी व्यक्ति के सम्मान को जब ठेस पहुँचाई जाती है, तो यह मानहानि की श्रेणी में आता है। चूँकि प्रत्येक भारतीय नागरिक को पूरे सम्मान के साथ जीने का अधिकार है, इसलिए भारतीय संविधान में मानहानि कानून का प्रावधान किया गया है, ताकि पत्रकारिता या अन्य गतिविधि के कारण किसी व्यक्ति के सम्मान को ठेस न पहुंचे। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के अलावा भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) में भी मानहानि से सम्बन्धित प्रावधान दिए गए हैं।


मानहानि की परिभाषा (Definition of defamation)


भारतीय दण्ड संहिता (1860) को धारा 499 के अनुसार, राष्ट्र के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी ईमानदारी, यश, प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि और मान-सम्मान आदि को सुरक्षित रखने का पूरा अधिकार है। इस कानून में मानहानि को इस प्रकार परिभाषित किया गया है - “जब कोई या तो बोले या पढ़े जाने योग्य शब्दों द्वारा, संकेतों द्वारा या दृश्य रूपणों द्वारा किसी व्यक्ति के बारे में कोई लाछन इस आशय से लगाता है कि ऐसे  लाछन से व्यक्ति-विशेष को ख्याति की अपहानि होगी, तो इसे मानहानि करना कहा जाएगा।”


 मानहानि के प्रकार (Types of defamation)

कानून के अनुसार, मानहानि दो प्रकार की होती है - सिविल (दीवानी) और आपराधिक (क्रिमिनल)।

सिविल मानहानि के मामले में दोषी व्यक्ति को आर्थिक दण्ड (मुआवजा) देना पड़ता है, जबकि आपराधिक मानहानि के लिए कारावास की सजा का भी प्रावधान है। 
कानून में मानहानि के दो प्रकार बताए गए हैं- अपवचन और अपलेख।

अपवचन

कानून में 'अपवचन' को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि जब बोले गए शब्दों में किसी व्यक्ति के सम्मान को ठेस पहुँचती है तो इस अपराध को अपवचन कहते हैं। इसमें मौखिक शब्दों के साथ-साथ संकेत, शारीरिक मुद्राएं और अव्यक्त ध्वनियाँ भी सम्मिलित होती है।

अपवचन मानहानि के मुख्य तत्त्व इस प्रकार हैं-

1. ऐसा कृत्य, जिसके कारण लोग वादी का सामाजिक बहिष्कार कर दें।
2. घृणा तथा तिरस्कार का भाव पैदा करने वाला कथन।
3. अवज्ञा का भाव पैदा करने वाला कथन।
4. व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाने वाले शब्द।
5. व्यक्ति के व्यवसाय, पेशे या पद पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला कथन ।

अपलेख

जब लिखित या मुद्रित शब्दों के माध्यम से किसी व्यक्ति की मानहानि की जाती है, तो इस कृत्य को अपलेख कहते हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के इस युग में टेलीविजन या इण्टरनेट के माध्यम से की गई मानहानि भी अपलेख के दायरे में आती है।

मानहानि केस में सजा का प्रावधान (Punishment of defamation case)

मानहानि के मामले में प्रतिवादी ( अभियुक्त) पर दीवानी और फौजदारी दोनों मामले चलाए जा सकते हैं तथा इस अपराध के लिए उसे दो साल की साधारण कैद या जुर्माना या दोनों सजाएँ एक साथ (कैद व जुर्माना) दी जा सकती है।
भारतीय दण्ड संहिता 1860 के अनुसार
1. यदि मृत व्यक्ति पर लगाए गए आरोपों से, मृत व्यक्ति के निकट सम्बन्धियों की भावनाएं आहत होती हों, तो यह आरोप मानहानि कहलाएगा।
2. किसी मृत व्यक्ति पर कोई आरोप लगाना, मानहानि के दायरे में आ सकता है, यदि वह आरोप उस व्यक्ति के जीवित होने पर उसकी ख्याति में अपहानि करता।
3. किसी संस्था, कम्पनी या व्यक्ति-समूह के सम्बन्ध में ऐसा आरोप लगाना, जो उनका अपयश करता हो, मानहानि की श्रेणी में आएगा।
4. कोई आरोप तब तक किसी व्यक्ति की मानहानि करने वाला नहीं कहा जा सकता, जब तक कि वह आरोप दूसरों की दृष्टि में उस व्यक्ति के सदाचार या बौद्धिक स्वरूप को नष्ट न करे अथवा उस व्यक्ति की साख को न गिराए।
5. किसी जाति, धर्म वर्ग विशेष पर निन्‍दाजनक टिप्पणी, मानहानि हो सकती है।
6. किसी व्यक्ति पर ऐसा आरोप लगाना, जो सत्य हो, उसकी मानहानि नहीं है, विशेष रूप से तब, जब आरोप प्रकाशित या प्रसारित करना जनहित में हो।
7. व्यंग्योक्ति के रूप में आरोप लगाना भी मानहानि की श्रेणी में आ सकता है, यदि उस
व्यंग्योक्ति से व्यक्ति की वास्तविक मानहानि होती है।
8. किसी व्यक्ति के नाम का गलत प्रकाशन या प्रसारण मानहानि है।
9. व्यक्ति विशेष के चित्र अनुपयुक्त स्थान पर प्रकाशित करना मानहानि है।
10. किसी की बीमारी, विकृति या दोषों की अनधिकृत चर्चा, मानहानि की श्रेणी में आ सकती है।

मानहानि से बचाव (Protection in defamation)

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 499 के मुताबिक निम्नलिखित परिस्थितियों में
'मानहानि' के मामले से बचा जा सकता है।

1. किसी लोक सेवक की उसके काम से सम्बन्धित आलोचना मानहानि नहीं है, लेकिन यह आलोचना सद्भावपूर्ण होनी चाहिए।
2. ऐसा सत्य आरोप, जिसका लगाया जाना जनहित में हो, से मानहानि नहीं होती है।
3. अपने व अन्य लोगों के हितों की रक्षा करने के लिए किसी व्यक्ति द्वारा सद्भावपूर्वक की गई परनिन्दा मानहानि नहीं होती है।
4. यदि कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को उसको भलाई के लिए या जनहित में चेतावनी देता है, तो यह मानहानि के दायरे में नहीं आएगा।
5. जनहित से जुड़े किसी मुद्दे के सन्दर्भ में किसी व्यक्ति के सम्बन्ध में सद्भावपूर्ण दी गई टिप्पणी भी मानहानि नहीं होती है, चाहे वह टिप्पणी उसके चरित्र से ही सम्बन्धित क्यों न हो।
6. यदि किसी न्यायालय की कार्यवाही के सम्बन्ध में सारत: सही रिपोर्ट प्रकाशित या प्रसारित की जाती है, तो उसे मानहानि नहीं माना जाएगा।
7. न्यायालय में चल रहे किसी मामले से सम्बन्धित वादी, प्रतिवादी और गवाहों के आचरण से सम्बन्धित सद्भावपूर्ण टिप्पणी मानहानि नहीं है।

मानहानि कानून और मीडिया          (Defamation law and media)

न्यायालय की कार्यवाही की रिपोर्टिंग के मामले में मीडिया को विशेषाधिकार दिए गए हैं, जिससे मीडिया के द्वारा आम जनता खबरों को जान सके। इस हेतु उसे कुछ विशेषाधिकार भी उपलब्ध हैं और इन विशेषाधिकारों के दायरे में रहकर मीडिया सम्बन्धी उत्तरदायित्वों का मीडियाकर्मी निर्वहन कर सकते हैं और ऐसा करते हुए वे मानहानि के मामले में दोषी नहीं माने जाएँगे। यदि कोई मीडियाकर्मी सच्चाई, सद्भाव और लोक-कल्याण की दृष्टि से कोई आरोप लगाता है और वह इन्हें साबित भी कर सकता है, तो वो मानहानि कानून के दायरे में नहीं आएगा। यदि अदालत में यह साबित कर दिया जाए कि लगाया गया आरोप सत्य था, वास्तविक था और उसका लगाया जाना जनहित में था, तो इस मामले में मानहानि कानून के तहत दण्ड नहीं दिया जा सकता।

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