Tuesday, February 2, 2021

रेडियो फीचर क्या है?

रेडियो फीचर क्या है?

रेडियो फीचर श्रोताओं को खबरों से आगे की जानकारी प्रदान करने के लिए प्रस्तुत किया गया फीचर होता है। इस फीचर को श्रोत केवल सुन सकते हैं इसलिए इसमें संगीत और ध्वनि का अतिरिक्त प्रभाव सम्मिलित किया जाना अपेक्षित होता है। रेडियो रीचर पढ़े-लिखे वर्ग के साथ-साथ अनपढ़ वर्ग के लिए सहज ही ग्राह्य होता है। अन्य श्रेणियों के फीचर की तरह ही रेडियो रूपक (फीचर) में भी कल्पनाशीलता, तथ्ये, घटना अथवा विषय का विवरण, विवेचन, लोगों के विचार, प्रतिक्रियाएँ और रोचकता होती है।

रेडियो फीचर की क्या विशेषता है?

रेडियो फीचर में फीचर के मूलभूत तत्व विद्यमाने होते हैं। जनसंचार का श्रव्य माध्यम होने के कारण व सुदूर क्षेत्र तक पहुँच रखने के कारण रेडियो का दायरा व्यापक होता है। लिपि-ज्ञान न रखने वाला वर्ग भी आसानी से इसके द्वारा प्रसारित संदेशों को ग्रहण करने में सक्षम होता है। इसलिए रेडियो फीचर में कल्पनाशीलता, तथ्य, घटना अथवा विषय को विवरण, विवेचन, लोगों के विचार, टिकिगााएँ और रोचकता के साथ-साथ संगीत एवं ध्वनि का भी अतिरिक्त प्रभाव होता है।

समाचार और फीचर में क्या प्रमुख अंतर है?

समाचार और फीचर में प्रमुख अंतर प्रस्तुतीकरण की शैली और विषयवस्तु की मात्रा का होता है। समाचार लेखन की सर्वाधिक प्रचलित शैली उल्टा पिरामिड शैली है जिसमें विषयवस्तु को महत्व के घटते क्रम में प्रस्तुत किया जाता है, जबकि फीचर लेखन की कोई निश्चित शैली नहीं है हालांकि प्राय: फीचर लेखन कथात्मक शैली में किया जाता है जो कि समाचार-लेखन की शैली के विपरीत प्रकार की शैली है। समाचार लेखन में लेखक को पूरे विषय को तथ्यानुरूप ही प्रस्तुत करना होता है। उसके स्वयं के विचारों के लिए इसमें कोई स्थान नहीं होता जबकि फीचर-लेखन में लेखक स्वतंत्र रूप से अपने विचारों को समाहित कर सकता है। समाचार लेखन में संक्षिप्तता का पूर्ण ध्यान रखा जाता है परंतु फीचर लेखन में विषयवस्तु को विस्तार से प्रस्तुत किया जाता है।


फीचर को मुख्यतः कितनी श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है ?

फीचर को मुख्यत: चौदह श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है

(क) समाचार फीचर : समाचार पर आधारित फीचर को समाचार फीचर कहा जाता है। जहाँ उल्टा पिरामिड शैली में लिखा गया समाचार किसी विषय अथवा घटना को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करता है, वहीं फीचर उस समाचार को विस्तार से प्रस्तुत करता है। समाचार में लेखक के व्यक्तिगत विचारों का कोई स्थान नहीं होता परंतु फीचर में लेखक अपने विचारों को समाचार की पृष्ठभूमि के साथ जोड़कर व्यक्त कर सकता है।
 
(ख) मानवीय रुचिपरक फीचर : किसी समुदाय या समाज विशेष की रुचियों पर आधारित फीचर मानवीय रुचिपरकं फीचर कहलाता है।

(ग) व्याख्यात्मक फीचर : सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं धार्मिक स्थितियों की तथा विविध समस्याओं की भावनात्मक दृष्टि से विवेचना व्याख्यात्मक फीचर में की जाती है।

(घ) ऐतिहासिक फीचर : इतिहास को कथात्मक एवं रुचिपरक तरीके से प्रस्तुत करना ऐतिहासिक फीचर कहलाता है।

(ङ) विज्ञान फीचर : विज्ञान की उपलब्धियों, खगोलीय घटनाओं, खोजों, संचार क्रांति से संबंधित विषयों पर लिखा गया फीचर विज्ञान फीचर कहलाता है।

(च) खेलकूद फीचर : खेल संबंधी जानकारी को रोचक ढंग से प्रस्तुत करना खेलकूद फीचर का विषय है।

(छ) पर्वोत्सवी फीचर : समाज में मनाये जाने वाले उत्सव एवं पर्यों पर आधारित फीचर पर्वोत्सवी फीचर की श्रेणी में आते हैं।

(ज) विशेष घटनाओं पर आधारित फीचर : युद्ध, बाढ़ आदि आकस्मिक घटनाओं आदि पर आधारित फीचर।

(झ) व्यक्तिपरक फीचर : किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर लिखा गया फीचर।

(अ) खोजपरक फीचर : विशेष रूप से छानबीन पर आधारित फीचर खोजपरक फीचर कहलाते हैं।

(ट) मनोरंजनात्मक फीचर : मनोरंजन के कार्यक्रमों पर आधारित फीचर।

(ठ) जनरुचि के विषयों पर आधारित फीचर : स्थानीय समस्याओं या सामाजिक विषयों पर आधारित फीचर।

(ङ) फोटो फीचर : एक विषय परे विविध आयामों के साथ ली गई तस्वीरों का प्रयोग कर फीचर का लेखन फोटो कहलाता है।

(ग) इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के फीचर : इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों, यथा-रेडियो, टेलीविजन आदि के लिए तैयार किये जाने वाले फीचर इस श्रेणी के फीचर होते हैं।

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