जनसंपर्क संचार की एक प्रक्रिया है, जिसमें जनता से संचार स्थापित किया जाता है। यह एक जटिल और विभिन्न क्षेत्रों की सम्मिश्रित प्रक्रिया है। इसमें प्रबंधन, मीडिया,संचार और मनोविज्ञान जैसे विषयों के सिद्धांत और व्यवहार शामिल है। जनसंपर्क की प्रक्रिया एक सुनिश्चित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए की जाती है, जो एक सही माध्यम के द्वारा जनता से संपर्क स्थापित कर अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सही दिशा में अग्रसर होने में सहायक होती है।
जनसंपर्क ऐसी प्रक्रिया है, जो सम्पूर्ण सत्य एवं ज्ञान पर आधारित सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए की जाती हैं। जनसंपर्क दो शब्दों ‘जन’ एवं ‘संपर्क से मिलकर बना हुआ है. जन का अर्थ है सामान्य जनता, जनसाधारण या आम व्यक्ति और संपर्क का अर्थ है – सम्बन्ध स्थापित करना या निकटता बनाये रखना .अतः जनसंपर्क जनसंपर्क का अर्थ है जनसामान्य से सम्बन्ध बनाये रखना .जनसंपर्क के लिए हिंदी में लोक संपर्क शब्द भी प्रचलित है .अंग्रेजी में जनसंपर्क शब्द के लिए ‘पब्लिक रिलेशन्स’ का प्रयोग किया जाता है , जिसका संक्षिप्त नाम ‘पी.आर’ है पी. से पब्लिक अर्थात जनता, आर से रिलेशन्स अर्थात सम्बन्ध बनाये रखना
जनता भी कई प्रकार की होती है एवं जनता की प्रकृति एवं अभिरुचियों को ध्यान में रखते हुए संपर्क स्थापित करना ही एक अच्छा ‘जनसंपर्क’होता है। जनसंपर्क की आवश्यकता किसी संस्था/संगठन को जनता के बीच में विश्वास पैदा करने के लिए होती है। कोई भी संस्था अपनी छवि को निखारने के लिए एवं अपनी संस्था के हित साधने के लिए, जनता को संस्था / संगठन से जोड़ने एवं जुड़े रहने के लिए प्रचार अर्थात एक अच्छी जनसंपर्क प्रक्रिया अपनाती है।जनसंपर्क जनता का विश्वास जीतने का प्रयास है जनसंपर्क हमेशा एक ऐसे वातावरण का निर्माण करने की ओर हमेशा तत्पर रहता है, जहाँ संस्था एवं उसके द्वारा उत्पादित वस्तुओं/सेवाओं के प्रति लोगों का रुझान एवं विश्वास उत्पन्न हो सके। जनसंपर्क एक दूरगामी प्रक्रिया है जो अपने लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सतत चलने वाली प्रक्रिया के रूप में काम करती है।
आज के सूचना क्रांति के युग में जनसंपर्क एक वैज्ञानिक एवं प्रबंधकीय प्रक्रिया के रूप में उभर कर सामने आया है ।नये-नये उपकरणों एवं माध्यमों के जरिए एक अच्छी जनसंपर्क प्रक्रिया संभव हो रही है।
इन सब के बाबजूद जनसंपर्क मानव से जुड़ने की प्रक्रिया है एवं इसमें मृदु व्यवहार एवं उपकार करके ही लोगों से संपर्क स्थापित कर उनके दिलों को जीता जाता है एवं संस्था/संगठन की साख को मजबूत बनाया जाता है। जनसंपर्क सम्प्रेषण की द्वि-पक्षीय प्रक्रिया है जिसमें एक और सरकार अथवा किसी संस्था की नीतियों एवं कार्यक्रमों का लक्षित जन-समूह तक प्रचार –प्रसार किया जाता है, और दूसरी और जनता की प्रतिक्रिया एवं समस्याओं से सरकार अथवा संबन्धित संस्था को अवगत कराया जाता है। जनसम्पर्क अपने प्रतिष्ठान के प्रबंधन और आम लोगों के मध्य सेतु का काम करते हुए एक – दूसरे को उनकी राय की जानकारी करता है ।
समाचार माध्यमों एवं बढ़ते प्रभाव और प्रसार के साथ-साथ जनसंपर्क की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है ताकि जनता उस संस्था को अपने स्मृति-पटल से ओझल न कर दे इसलिए समय के बदलाव के साथ जनता की मनःस्थिति का हमेशा मूल्यांकन करते हुए संस्था के हित के अनुरूप कई कार्यक्रमों को तैयार किया जाता है एवं जनता को अवगत कराया जाता है एवं उनसे संपर्क स्थापित कर बेहतर संचार किया जाता है और यह कोशिश की जाती है कि उन्हें संस्था से जोड़े रखे।
जनसंपर्क एक सुनियोजित एवं सुदृढ़ संचार-कार्यक्रम है जो संगठन तथा उसके लक्षित-समूह के मध्य क्रियान्वित किया जाता है। यह किसी भी संस्था के लिए अनिवार्य तत्व एवं आधार भी माने जाते हैं। जनसंपर्क के क्षेत्र में “लक्षित समूह” या जनसमूह से तात्पर्य “जनता” शब्द से ही जुड़ा होता है। “जनता” या “लक्षित समूह” के अंतर्गत कुछ ऐसे अनिक्छुक या उदासीन समूह होते हैं जिनके हित, विकास और कल्याण के लिए संगठन को कठिन प्रयास करना पड़ता है। इसमें कुछ चिन्हित उपभोक्ता भी शामिल होते हैं।
यह एक प्रबंधकीय कार्य है जो व्यक्तिगत एवं संगठनात्मक संचार पर विशेष बल देता है। इसका उद्देश्य परस्पर सहमति,सहयोग की स्थापना करना है। यही वजह है कि जनसंपर्क को संगठन एवं जनता के मध्य सार्थक सम्बन्धों के विकास, रख-रखाव या पोषण कर्ता के रूप में जाना जाता है। इसके अंतर्गत कार्मिक ग्राहक, अंशधारक, प्रतिस्पर्धी समूह, आपूर्तिकर्ता या उपभोक्ता आदि शामिल होते हैं। उपरोक्त में से प्रत्येक समूह को जनसंपर्क या जनसमूह कि परिधि में आने वाली जनता के रूप में जाना जाता है। इन विशिष्ट जनसमूह या समुदाय के साथ मधुर सम्बन्धों कि स्थापना हेतु प्रभावी संपर्क स्थापित करना ही जनसंपर्क है।
जनसंपर्क की परिभाषा
जनसंपर्क का कार्य किसी भी संस्था की विशेषताओं और उसके उद्देश्यों को प्रस्तुत करने का एक वैज्ञानिक तरीका है। विभिन्न विद्वानों ने जनसम्पर्क को जनता से सम्बंध स्थापित करने की एक कला माना है। इस कला द्वारा सम्पर्ककर्ता अपने संस्थगत गुणों को उजागर करके एक योजनाबद्व विधि से जनसम्बन्धों को आधार बनाकर जनमत का निर्माण करता है।
समय के बदलाव के साथ जनसंपर्क की अवधारणा और उसकी प्रकृति में भी बदलाव आया है। पहले जनसंपर्क में लोकसेवा, देशसेवा, जनसेवा के भाव को प्राथमिकता मिलती थी। आज इसमें व्यावसायिक रंग अधिक समा रहा है। जनसंपर्क एक व्यावहारिक प्रक्रिया है, इसलिए उसे निश्चित परिभाषा में नहीं बाँधा जा सकता, लेकिन जनसंपर्क के स्वरूप-निर्धारण के लिए कुछ भारतीय पाश्चात्य विद्वानों तथा विभिन्न जनसंपर्क संस्थाओं द्वारा पुष्ट की गई जनसंपर्क संबंधी परिभाषाओं और अवधारणाओं का मूल्यांकन करना उचित होगा।जनसम्पर्क-विशेषज्ञों ने विभिन्न दृष्टिकोणों से अनेक परिभाषाएँ दी हैं, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं-
इन्टरनेशनल पब्लिक रिलेशन्स एसोसियेशन के अनुसार- ‘‘जनसम्पर्क वह व्यवस्थापकीय प्रक्रिया है जो सतत एंव योजनाबद्व प्रयासों द्वारा जनता और निजी संगठन व संस्थान के विषय में सम्बन्धित लोगों अथवा भविष्य में सम्पर्क में आने वाली जनता की सहानुभूति, सम्मति एवं समर्थन प्राप्त कर सके। इस सम्मति के साथ इस प्रक्रिया द्वारा अपनी नीतियों, कार्यतिधियों और सूचनाओं द्वारा अधिकाधिक क्षमता से उपयोगी उत्पादन कर सहअभिरूचि की पूर्णता प्राप्त करना है।’’
ब्रिटिश इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक रिलेशन्स के अनुसार- ‘‘जनसम्पर्क जनता और संगठन के बीच सोच-समझकर योजनबद्व तरीके से किया जाने वाला प्रयास है,जिसमें निरन्तरता होनी आवश्यक है।’’
सैम ब्लैक के अनुसार– “जनसम्पर्क समाज विज्ञानों का सम्मिश्रण है जो व्यक्ति और समूह की प्रतिक्रियाओं का ज्ञान करवाता है साथ ही यह सम्प्रेषण विज्ञान भी है जो परस्पर सहमति का निर्माण करके तनाव की स्थिति का निराकरण करता है।”
एडवर्ड एल.बर्जेल के अनुसार– “जनसम्पर्क का उद्देश्य व्यक्ति, समुदाय और समाज में परस्पर एकीकरण है। प्रतिस्पर्धापूर्ण जीवन-प्रणाली में अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए हमें एक-दूसरे की भावनाओं को समझने और आदर करने की आवश्यकता होती है। जनसम्पर्क व्यक्ति और समाज में समायोजन करने और जन भावनाओं को मुखरित करने का एक साधन है।”
बैब्रनर्र के अनुसार– “आधुनिक शासन में जनसम्पर्क प्रचार-प्रसार का वह साधन है जिसके द्वारा जनता की इच्छाओं और भावनाओं का ज्ञान होने के साथ-साथ उनका अपनी कार्य-प्रणाली में समन्वय करके पुनः जनता तक पहुंचाया जाता है।”
ग्रीफ वोल्फ के अनुसार– “जनसम्पर्क एक प्रबंधकीय कार्यशैली है जो जन अभरूचि को अपने अनुकूल करता है तथा अपने को समूह से परिचित कराता है। वह व्यक्तिपरक, संस्थापरक एवं संगठनपरक हो सकता है। अपने कालात्मक रूप में यह एकपक्षीय संगठनात्मक स्वरूप या प्रक्रिया नही है,, बरन जनसमूह के समथ्रन, दृष्ट्रिकोणों से पूर्णता, समग्रता, सार्थकता एवं स्वीकारोक्ति प्राप्त करने की क्रिया है।”
वर्तमान समय के अनुसार जनसम्पर्क का मूल्यांकन किया जाय तो हम यह पाते हैं कि, ‘‘माननीय सम्पर्क-कला द्वारा जनसम्पर्क किसी संगठन या संस्था के लिए सार्वजनकि अनुकूलता या विशिष्ट जन-अनुकूलता प्राप्त करने का एक अधुनातन विज्ञान है जिसमें सम्प्रेषण के अनेक माध्यमों का प्रयोग किया जाता है।’’
वेब्स्टर की न्यू इंटरनेशनल डिक्शनरी के अनुसार– “व्याख्यात्मक सामाग्री द्वारा किसी व्यक्ति, फार्म अथवा संस्था का घनिष्ठ संबंध दूसरे व्यक्तियों जनता विशेष या समुदाय के साथ स्थापित करना, पड़ोसी की भांति उनमें आपसी विचारों के आदान-प्रदान के विकास और उसकी प्रतिक्रिया का जायजा लेना है।”
इस परिभाषा में व्यक्ति ,फर्म या संस्था का जन-समुदाय से अनुकूल सामंजस्य स्थापित करने की दिशा में जनसंपर्क का महत्व कोस्वीकारा कियागया है।
ए॰ आर॰ रालमैन के अनुसार - “जनसंपर्क वह द्विपक्षीय सम्प्रेषण है, जिसमें सह-अभिव्यक्ति का का आधार संपूर्ण सत्य, ज्ञान व पूर्ण सूचनाएँ होती हैं। जिनसे आपसी तनाव कम होकर आपसी सौहार्द भावना बढ़ती है।”
कैम्पबल के अनुसार– “जनसम्पर्क एक कला है जिसमें मानव व्यवहार व प्रवृत्ति का ज्ञान तथा उन्हें अपने अनुकूल मोड़ सकने की क्षमता शामिल है।”
उपरोक्त समस्त परिभाषाओं के आाधर पर अंत में हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि जनसम्पर्क के लिए जनसंचार और जनसंचार के लिए जनसम्पर्क का निर्देशन अत्यधिक आवश्यक है। यदि जनसम्पर्क के मैाखिम, मुद्रित, श्रत्य एंव दृश्य तथा इलेक्ट्रनिक माध्यमों का प्रयोग विज्ञान की देन है, तो जनसम्पर्क वह कला है जो इन माध्यमों का उपयोग प्रचार कार्य करने के लिए करती है ओर सदैव लक्ष्य तक पहुँचने का प्रयास करती है।
जनसंपर्क के उद्देश्य:-
जनसंपर्क सही दिशा में ‘जनमत’निर्माण करना ही जनसंपर्क का महती उद्देश्य है क्योंकि यह बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करता है . जनसंपर्क का आधार सूचनाओं पर निर्भर करता है .सुचना देना भी जनसंपर्क का एकपक्षीय उद्देश्य है . जनसंपर्क का आधार सत्य और यथार्थ सूचनाओं पर निर्भर करता है । जनसंपर्क द्विपक्षीय प्रक्रिया है ।वह सूचना देता है तो उस सूचना का फीड-बैक भी प्राप्त करता हैप्रचार –प्रसार माध्यम जनमत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि वे सामाजिक घटनाओं के केंद्र में होते हैं .जनसंपर्क ही वह पहलू है जो समस्त घटनाक्रमों के केंद्र में सकारात्मक स्थितियों को उनके परिवेश व परिप्रेक्ष्य के अनुरूप उचित स्थान दिला पाता है ।
जनसंपर्क के तीन मूल उद्देश्य मने गए हैं :-
1. सूचना (Information)
2. शिक्षा (Education)
3. मनोरंजन (Entertainment)
सूचना व सम्प्रेषण के अर्थ में ‘संवाद’की भी सार्थकता है।संवाद उस क्रिया का द्योतक जो जनसंपर्क के क्रम में सूचना –शिक्षा व मनोरंजन के उद्देश्य को एक प्रभावी भूमिका के रूप में निभाता है ।जनसंपर्क का उद्देश्य यह होता है कि व्यक्ति या संस्था के कार्यों आदि के बारे में जनता के विचारों का अनुमान लगाए, उसे प्रभावित व नियंत्रित करने के साथ ही यह भी निश्चित करे कि उसका अंतिम परिणाम उस व्यक्ति या संस्था के हित में हो ।
जनसंपर्क का महत्व :-
भारत के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में जनसम्पर्क एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। देखते ही देखते जनसम्पर्क पहले की तुलना में एक प्रतिष्ठित पेशा बन गया है और यह कैरियर क्षेत्र भी बनकर उभर रहा है। जनसम्पर्क एक बहुत ही रचनात्मक कार्य है, ये सृजन-सम्पर्क की आत्मा हैं ।
इस पेशे को अपनाकर आप एक साथ अपने व्यवसाय, समाज, शासन और व्यवसायिक प्रतियोगी क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। (राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस 21 अप्रैल को मनाया जाता है .)
एक वह जमाना था जब जनसंपर्क अधिकारी का कार्य मात्र मीडिया को सैर कराने और अतिथियों के लिये होटल बुक करने तक ही सीमित समझा जाता रहा था लेकिन यह स्थिति आज पूरी तरह बदल चुकी है और अब जनसम्पर्क एक प्रतिष्ठित पेशे और व्यवसाय के रूप में दुनियाभर मे स्थापित हो चुका है। आज व्हाईट हाउस से लेकर, प्राक्टर एंड गैंबल, प्रजापति ब्रम्हकुमारी मुख्यालय और कलक्ट्रेट कार्यालय सभी जगह जनसंपर्क विंग विद्यमान है। उत्पादों और संस्थाओं को बाजार में उतारने एवं कायम रहने की चुनौतियों ने जनसंपर्क की उपयोगिता बढ़ा दी। अमेरिकी श्रम विभाग के मुताबिक वहां 2 लाख से अधिक पेशेवर जनसंपर्क के काम मे लगे हैं। भारत मे भी 1990 के आते-आते आर्थिक उदारीकरण की नीति के प्रवेश के साथ कारपोरेट और सरकारी क्षेत्र मे साख बनाने एवं बढ़ाने मे जनसंपर्क का इस्तेमाल बढ़ने लगा।
मोबाईल-इंटरनेट से नवनिर्मित सूचना समाज मे जनसंपर्क सरकार और बाजार से लेकर बॉलीवुड तक फैल गया। भारत में आज 1 लाख से अधिक लोग जनसम्पर्क को पेशे के रूप में अपना चुके हैं और यह क्षेत्र बहुत तेजी से विकास कर रहा है। कंपनियां अब जनसम्पर्क सलाहकारों की सेवाएं ले रही हैं। विगत लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों से खूब जनसम्पर्क पेशेवरों की सेवाओं का इस्तेमाल किया गया ।
जनसंपर्क के कार्य क्षेत्र
इस प्रकार विभिन्न समूह किसी संगठन से अपने-अपने लाभ की आशा के चलते जुड़े होते हैं। यह अलग-अलग तरह से संगठन की प्रगति में सहायक बनते हैं । इसलिए संस्था को इनसे बेहतर तारतम्यता बनाए रखना आवश्यक होता है। यहां जनसंपर्क की जरूरत पड़ती है। जनसंपर्क विभिन्न समूहों के लिए विभिन्न स्तर पर संपर्क के लिए गतिविधियां चलाता है।
1. आंतरिकक्षेत्र:-(इन्टर्नल क्षेत्र )
2. बाह्य क्षेत्र:-(एक्सटर्नल क्षेत्र)
आंतरिक क्षेत्र :-
आंतरिक जनसंपर्कसे तात्पर्य है अपने अधिकारियों और कर्मचारियों के मध्य सूचना सम्प्रेषण। इसमें परस्पर संचार कायम रखकर, उन्हें संगठित कर संस्था के उद्देश्यों की दिशा में काम करवाया जाता है। किसी भी संस्था के लिए उसके समस्त कर्मचारी ‘इन्टर्नल पब्लिक’हैं। हाउस जर्नल, बुलेटिन बोड, ई-मेल आदि के जरिए जनसंपर्क बनाए रखा जाता है।
बाह्य क्षेत्र :-
बाह्य क्षेत्र जनसंचार में कंपनी या संस्था से इसकेअन्य समूहों से संपर्क बनाए रखा जाता है। जिनमें ग्राहक/उपभोक्ता, विक्रेता, शेयर होल्डर, मीडिया, सरकार, अन्य कंपनियां आदि शामिल हैं। यह किसी संस्थान के लिए ‘एक्सटर्नल पब्लिक’ कहलाते हैं। इनसे संपर्क बनाए रखने के लिए प्रेस व संचार के अन्य साधन कारगर साबित होते हैं।
विभिन्न क्षेत्रों में जनसंपर्क के मुख्य दो कार्य होते हैं .
सरकारी क्षेत्र | सार्वजनिक क्षेत्र | निजी क्षेत्र |
1. सरकार/संस्थान की योजनाओं, नीतियों, सफलताओं एवं कार्यों के बारे में निरंतर सूचना प्रेषित करना। | 1. मानव संसाधन, मुद्दों का निवारण एवं आपातकालीन स्थितियों से निपटना। | 1. अधिकारियों व कर्मचारियों के मध्य संपर्क बनाए रखना। |
2. जनता को नियमों प्रावधानों, तत्कालीन परिदृश्य और उनसे जुड़े प्रत्येक महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे में सूचित व शिक्षित करना। | 2. जनता के प्रश्नों, आपत्तियों एवं उनके सुझावों के लिए तैयार रहना। | 2. ग्राहकों/विक्रेताओं/ उपभोक्ताओं से परस्पर संपर्क बनाए रखना। मीडिया के जरिए ब्रांड को प्रचारित करते रहना। |
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